Madhu Koda: वो निर्दलीय विधायक जो सीएम बना तो वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया
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Madhu Koda: वो निर्दलीय विधायक जो सीएम बना तो वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया

Madhu Koda BirthDay: झारखंड के पश्चिम सिंहभूम के जगन्नाथपुर के पाताहातू गांव में मधु कोड़ा का जन्म 6 जनवरी, 1971 को हुआ. शुरुआती जीवन संघर्षों भरा रहा

Madhu Koda: वो निर्दलीय विधायक जो सीएम बना तो वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया

रांचीः राजनीति संभावनाओं का विषय है. यहां कुछ भी असंभव है. जो वर्तमान है वही संभव है और इसे भूत बनने में देर नहीं लगती. इस एक बात कई राजनेताओं के राजनीतिक जीवन सच साबित किया है. ये कहानी भी ऐसे ही एक राजनेता की है. उसका आदिवासी पिता खदान में कोयला खनता था. बेटा भी पिता का हाथ बंटाता था. जैसे-तैसे बेटे ने पढ़ाई कर ली. 

  1.  पश्चिम सिंहभूम के पाताहातू गांव में मधु कोड़ा का जन्म 6 जनवरी, 1971 को हुआ
  2. ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) से हुई पॉलिटिकल करियर की शुरुआत

रातों-रात बने सीएम
पिता ने सोचा कि इंस्पेक्टर बन जाए तो जिंदगी आराम से कटे. लेकिन बेटा... उसकी किस्मत में तो कुछ और ही था. कोयले से काले हुए इन हाथों को राजनीति ने खूब चमकाया. वो भी ऐसा कि पहले वो शख्स विधायक बना फिर मंत्री और एक दिन रातों-रात सीएम बन गया. ये कहानी है मधु कोड़ा कि, जिनके नाम के आगे पूर्व सीएम जुड़ा हुआ है. ये देखने-सुनने में बहुत गर्व कराने वाली बात होती, अगर उनके साथ भ्रष्टाचार का मामला नहीं जुड़ता. 

मधु कोड़ा की बात इसलिए, क्योंकि 6 जनवरी को वे अपना जन्मदिन मनाते हैं. 

जगन्नाथपुर के पाताहातू गांव में जन्मे
झारखंड के पश्चिम सिंहभूम के जगन्नाथपुर के पाताहातू गांव में मधु कोड़ा का जन्म 6 जनवरी, 1971 को हुआ. शुरुआती जीवन संघर्षों भरा रहा, जिसका जिक्र पहले ही कर चुके हैं, लेकिन आदिवासी इलाके से आने वाला मधु अपनी जिंदगी बदल देना चाहता था. न सिर्फ अपनी बल्कि अपने आस-पास वालों के लिए भी उसने शुरुआत में बदलाव का ही सपना देखा था. 

यही बदलाव ले आया छात्र मधु को ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) की ओर. छात्र जीवन में वह इससे जुड़े फिर RSS में भी सक्रिय रहे और इसी के जरिए राजनीति ने अपने बीच उन्हें पूरी जगह दी. BJP ने उनमें एक आग देखी तो टिकट दे दिया और इस टिकट पर पहली बार मधु कोड़ा ने विधानसभा का सफर तय किया. 

किस्सा, जो यादगार है
अब यहां से आगे का किस्सा जरा तफसील से. ये साल 2005 की बात है. झारखंड में फिर से चुनाव होने वाले थे. BJP ने मधु कोड़ा का टिकट काट दिया. नाराज़ कोड़ा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने जगन्नाथपुर से निर्दलीय ही पर्चा भर दिया. ये ऐसा चुनाव था, जिसके परिणाम में किसी को भी बहुमत नहीं मिला था. हालांकि मधु 10 हजार वोट से चुनाव जीत गए थे. 2 मार्च 2005 को शिबू सोरेन के नेतृत्व वाले कांग्रेस-झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन को राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए बुलाया लेकिन सदन में बहुमत साबित नहीं हो सका और सोरेन की सरकार गिर गई. 

जब गिरा दी अपनी ही सरकार
एक बार फिर अर्जुन मुंडा ने दावा पेश किया. उनके पास भी विधायकों की संख्या कम थी. कोड़ा ने अपनी शर्तों पर समर्थन दिया, अपने तीन साथियों से समर्थन दिलवाया, जिसके बाद सरकार बन गई और बहुमत साबित हो गया. अर्जुन मुंडा सीएम बन तो गए थे, लेकिन सरकार जैसे-तैसे ही चल पा रही थी. इसी बीच एक सड़क को लेकर अर्जुन और मधु कोड़ा की अनबन हो गई. मधु कोड़ा विधानसभा में रो पड़े, अपनी ही सरकार पर आरोप लगाए और भाषण खत्म करते ही सरकार से हाथ खींच लिए. अर्जुन मुंडा की सरकार औंधे मुंह गिर पड़ी. 

और बना लिया रिकॉर्ड
इसके बाद कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, जअुआ मांझी ग्रुप, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक और तीन अन्य निर्दलीय विधायकों ने भी मधु कोड़ा को समर्थन दे दिया. इस तरह से निर्दलीय विधायक रहते हुए भी वो मधु कोड़ा झारखंड के पांचवें सीएम बन गए. इस तरह सीएम बनने के कारण उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. 

लेकिन, विवादों ने सब बिगाड़ा
ये सारी बातें तो अर्श की हैं. फर्श वाली बातें भी कर लेते हैं. साल 2007 में हुआ कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला. झारखंड में विनोद सिन्हा नाम का एक शख्स कोड़ा के काफी करीब था. आयकर विभाग ने मधु कोड़ा, विनोद सिन्हा और उनसे जुड़े देशभर में 167 जगहों पर छापा मारा. इस दौरान पता चला कि मधु कोड़ा ने कोयला, आयरन और खदान आवंटन के साथ ही ऊर्जा विभाग में गड़बड़ी की है. तब के राज्य कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने ही कोड़ा के खिलाफ मुहिम छेड़ दी. 

कई मामलों में अभियुक्त
सीबीआई ने कहा कि साल 2007 में हुए इस कोल ब्लॉक आवंटन के बदले अरबों रुपए की रिश्वत ली गई. सीबीआई ने इस पूरे मामले में 9 लोगों को आरोपी बनाया. इनमें मधु कोड़ा, एचसी गुप्ता और कंपनी के अलावा, झारखंड के पूर्व चीफ सेक्रेटरी एके बसु, दो अन्य अफसर बसंत कुमार भट्टाचार्य, बिपिन बिहारी सिंह, वीआईएसयूएल के डायरेक्टर वैभव तुलस्यान, कोड़ा के कथित करीबी विजय जोशी और चार्टर्ड अकाउंटेंट नवीन कुमार तुलस्यान शामिल थे. 30 नवंबर 2009 को सीबीआई ने कोड़ा को गिरफ्तार कर लिया. ईडी ने भी कोड़ा को कई मामलों में अभियुक्त बनाया. 

कुल मिलाकर एक बड़ी जीत से राजनीति का सफर शुरू करने वाले कोड़ा का नाम जितनी तेजी से अर्श तक पहुंचा, उतनी ही तेजी से फर्श तक आ गया. 

 

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