जहां बिरसा के कदम पड़े, वह हम सबके लिए पवित्र तीर्थ: PM नरेंद्र मोदी
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जहां बिरसा के कदम पड़े, वह हम सबके लिए पवित्र तीर्थ: PM नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रांची में स्थापित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय सोमवार को राष्ट्र को समर्पित किया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संग्रहालय भगवान बिरसा मुंडा सहित भारत के कोटि-कोटि स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृतियों को समर्पित है.

'जहां बिरसा के कदम पड़े, वह हम सबके लिए पवित्र तीर्थ' (फाइल फोटो)

Ranchi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रांची में स्थापित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय सोमवार को राष्ट्र को समर्पित किया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संग्रहालय भगवान बिरसा मुंडा सहित भारत के कोटि-कोटि स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृतियों को समर्पित है. 15 नवंबर भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती है और इसे हमने जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि रांची का यह संग्रहालय, स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी नायक-नायिकाओं के योगदान का, विविधताओं से भरी हमारी आदिवासी संस्कृति का जीवंत अधिष्ठान बनेगा. भारत की पहचान और भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए भगवान बिरसा मुंडा ने अपने आखिरी दिन रांची की इसी जेल में बिताए थे. 

उन्होंने कहा कि जहां बिरसा के कदम पड़े हों, वह हम सबके लिए पवित्र तीर्थ है. प्रधानमंत्री ने देश के इतिहासकारों का आह्वान किया कि वे बिरसा मुंडा, बाबा तिलका मांझी, सिद्धो-कान्हू, तेलंगा खड़िया जैसे आदिवासी योद्धाओं और विभूतियों के संघर्ष, त्याग और बलिदान से जुड़े इतिहास का पुनर्लेखन करें, क्योंकि इन सेनानियों को जो पहचान मिली थी, वह आज तक नहीं मिली. यह हमारी जिम्मेदारी है कि अपनी प्राचीन विरासत और इतिहास को नयी चेतना दें. उन्होंने देश के विद्यार्थियों से अपील की कि वे रांची स्थित इस संग्रहालय में जायें और जनजातीय समाज की संस्कृति को देखिए, समझिए. यहां बहुत कुछ ऐसा है, जिसे हमें सीखना-समझना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभर में ऐसे 9 संग्रहालय बनने हैं. इन म्यूजियम से ना सिर्फ देश की नयी पीढ़ी आदिवासी इतिहास के गौरव से परिचित होगी बल्कि इन क्षेत्रों में पर्यटन को भी नयी गति मिलेगी. यह आदिवासी समाज के गीत- संगीत, कला, कौशल, शिल्पकलाओं का भी संरक्षण करेगी.

'वो केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक परंपरा हैं'

स्वंत्रता संग्राम में आदिवासी समाज और इसके योद्धाओं के संघर्ष को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कोई भी कालखंड ऐसा नहीं रहा, जब देश के किसी न किसी हिस्से में आदिवासी समाज अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांति नहीं कर रहा था. भगवान बिरसा मुंडा की स्मृतियों को नमन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने समाज में फैली कुरीतियों को और गलत सोच के खिलाफ आवाज उठाने का साहस किया बल्कि उनको बदलने की भी ताकत रखी. उन्होंने विदेश सोच और ताकत को घुटनों पर ला दिया था. पीएम मोदी ने कहा कि वो केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक परंपरा हैं.

'स्थापना दिवस की दी बधाई' 

प्रधानमंत्री ने झारखंड के लोगों को राज्य स्थापना दिवस की भी बधाई दी. झारखंड के गठन मेंपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि अटल जी की इच्छा के कारण झारखंड राज्य बना. उन्होंने ही अलग आदिवासी मंत्रालय का गठन किया था. प्रधानमंत्री ने कहा, झारखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर अटल जी के चरणों में नमन करते हुए श्रद्धांजलि देता हूं.

बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के लोकार्पण समारोह के दौरान रांची में आयोजित समारोह में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा, झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, रांची के सांसद संजय सेठ सहित कई लोग उपस्थित रहे.

'42 करोड़ की लगी लागत' 

रांची में स्थापित इस संग्रहालय एवं उद्यान के निर्माण में कुल 142 करोड़ की लागत आयी है और इसमें केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारों ने सहयोग किया है. यह स्मृति स्थल कई मायनों में अनूठा है. यहां भगवान बिरसा मुंडा की 25 फीट ऊंचाई की प्रतिमा स्थापित की गयी है, जिसका निर्माण जाने-माने मूर्तिकार श्री राम सुतार के निर्देशन में हुआ है. रांची शहर के बिल्कुल बीचोबीच स्थित इस परिसर में पहले सेंट्रल जेल हुआ करती थी, जिसे लगभग एक दशक पहले होटवार नामक स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया. अब यह पुरानी और ऐतिहासिक जेल परिसर ऐसे संग्रहालय के रूप में विकसित होकर तैयार है, जहां बिरसा मुंडा के साथ-साथ 13 जनजातीय नायकों की वीरता की गाथाएं प्रदर्शित की जायेंगी. सिदो-कान्हू,नीलांबर-पीतांबर, दिवा किशुन, गया मुंडा, तेलंगा खड़िया,जतरा टाना भगत, वीर बुधु भगत जैसे जनजातीय सेनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अद्भुत लड़ाई लड़ी थी. इन सभी की प्रतिमाएं भी संग्रहालय में लगायी गयी हैं.

जेल के एक बड़े हिस्से को अंडमान-निकोबार की सेल्यूलर जेल की तर्ज पर विकसित किया गया है. इसकी दीवारों को मूल रूप में संरक्षित किया गया है. इसमें पुरातत्व विशेषज्ञों की मदद ली गयी है. जेल का मुख्य गेट इस तरह बनाया गया है कि वहां 1765 के कालखंड की स्थितियां और उस वक्त आदिवासियों के रहन-सहन और जीवन शैली को जीवंत किया जा सके. जेल का अंडा सेल, अस्पताल और किचन को भी पुराने स्वरूप में संरक्षित किया जा रहा है. संग्रहालय से जुड़े उद्यान में म्यूजिकल फाउंटेन, इनफिनिटी पुल और कैफेटेरिया का भी निर्माण कराया गया है.

(इनपुट:आईएएनएस) 

 

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