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Ranchi: झारखंड में नई सरकार का गठन हो गया है और 12वीं मुख्यमंत्री के तौर पर चंपई सोरेन ने शपथ ले ली है. लेकिन इसी बीच जोड़-तोड़ की आशकाओं के बीच सत्ताधारी दल के विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट किया गया है. सत्ताधारी दल इस फैसले को एहतेयाति कदम बता रहा है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ,सत्ता पक्ष पर अपने विधायकों पर भरोसा न करने को लेकर हमलावर है.
इसपर भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस पर अपने ही विधायकों पर भरोसा नहीं होने का आरोप लगाया. वहीं सरकार को गिराने की साजिश को लेकर कहा कि यह उनके खुद की प्रतिद्वंदा है चाहे मंत्री बनने की हो या कुछ और. हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी से डर की कोई बात नहीं है. हम चाहते हैं कि हमारे विधायक एकजुट रहे. एक साथ रहे. इसकी शुरुआत खुद बीजेपी ने की थी.
इधर कांग्रेस ने कहा की विधायकों को बाहर भेजने का मकसद जनमत को बचाना है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी इस जनमत को चुराना चाहती है और चोरों से अपनी तिजोरी की रक्षा करना हमारा धर्म है. ऐसे में बीजेपी के अगर पेट में दर्द हो रहा है तो वह लाजमी है क्योंकि उनके मंसूबे पर पानी फिर रहा है.
विधायकों को हैदराबाद के लक्जरी रिसॉर्ट में ठहराया गया
झारखंड का सियासी नाटक शुक्रवार को हैदराबाद में उस वक्त स्थानांतरित हो गया, जब सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाले गठबंधन के विधायकों को तेलंगाना की राजधानी के बाहरी इलाके में स्थित लियोनिया होटल में ठहराया गया. पुलिस ने रिसॉर्ट की ओर जाने वाले संपर्क मार्गों पर अवरोधक लगा दिए हैं और इसमें प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है. पुलिस ने बताया कि नियमित सुरक्षा व्यवस्था के तहत पुलिसकर्मियों को वहां तैनात किया गया है. इससे पहले झारखंड में सत्तारूढ़ झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन के विधायक रांची से दो विमानों से यहां बेगमपेट हवाई अड्डे पर उतरे. इसके बाद उन्हें लक्जरी बसों में रिसॉर्ट में ले जाया गया.
(इनपुट भाषा/धीरज ठाकुर)