Kanhaiya Kumar: राहुल गांधी के मंच पर तेजस्वी यादव के पहुंचते ही कन्हैया कुमार के साथ हो गया खेला, जानें कैसे?
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Kanhaiya Kumar: राहुल गांधी के मंच पर तेजस्वी यादव के पहुंचते ही कन्हैया कुमार के साथ हो गया खेला, जानें कैसे?

Bihar Politics: तेजस्वी के मंच पर आने से पहले कन्हैया मंच से लोगों को संबोधित कर रहे थे. मोदी सरकार के खिलाफ उनके भाषण को राहुल गांधी बड़े ध्यान से सुन रहे थे, लेकिन जैसे ही मंच पर तेजस्वी का आगमन हुआ तो कन्हैया से माइक छीन लिया गया.

कन्हैया कुमार

Bihar Politics: सोशल मीडिया पर इन दिनों 'मोय-मोय' का काफी ट्रेंड चल रहा है. जब किसी के साथ कुछ अनएक्सपेक्टेड हो जाता है, तो उसे 'मोय-मोय' की श्रेणी में रखा जाता है. सोशल मीडिया की भाषा में बिहार के युवा नेता और कन्हैया कुमार के साथ एक बार फिर से 'मोय-मोय' हो गया. दरअसल, जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गांधी परिवार ने बड़े जोश-खरोश के साथ कांग्रेस पार्टी में शामिल कराया था. एक वक्त था जब कन्हैया कुमार को बिहार का ही नहीं बल्कि देश का बड़ा नेता माना जाता था. राहुल गांधी की नेतृत्व में कांग्रेस की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' में भी कन्हैया कुमार बड़-चढ़कर हिस्सा ले रहे थे लेकिन जैसे ही राहुल को तेजस्वी यादव का साथ मिला, कन्हैया कुमार को पूरी तरह से इग्नोर कर दिया गया.

तेजस्वी के मंच पर आने से पहले कन्हैया मंच से लोगों को संबोधित कर रहे थे. मोदी सरकार के खिलाफ उनके भाषण को राहुल गांधी बड़े ध्यान से सुन रहे थे, लेकिन जैसे ही मंच पर तेजस्वी का आगमन हुआ तो कन्हैया से माइक छीन लिया गया. तेजस्वी ने पहली बार कन्हैया कुमार के साथ मंच साझा किया, लेकिन इसमें भी कन्हैया को मंच पर खोजना मुश्किल हो गया. जो तस्वीरें सामने आईं उसमें साफ दिख रहा है कि कैसे पूरे मंच को तेजस्वी यादव ने हाईजैक कर लिया. कांग्रेस नेताओं में सिर्फ राहुल गांधी ही फ्रेम में जगह मिली. 

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अब सवाल ये है कि आखिर तेजस्वी के मंच पर आते ही कन्हैया कुमार को क्यों साइड कर दिया गया? बता दें कि कन्हैया और तेजस्वी के बीच की अदावत 2019 का लोकसभा चुनाव से शुरू हो गई थी. कन्हैया ने उस वक्त सीपीआई की टिकट पर बेगूसराय से लड़ा था. उनके सामने बीजेपी के फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह थे. उस वक्त वामपंथी नेताओं ने तब आरजेडी से अनुरोध किया था कि वह इस सीट से अपना उम्मीदवार न उतारें. लेकिन आरजेडी द्वारा वहां से उम्मीदवार खड़ा किए जाने के बाद कन्हैया कुमार चुनाव हार गए थे. 

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राजनीतिक पंडितों का कहना है कि कन्हैया कुमार काफी पढ़े-लिखे और तेज-तर्रार नेता माने जाते हैं. वहीं तेजस्वी को 9वीं पास नेता कहा जाता है. लोगों का मानना है कि अगर लालू के बेटे ना होते तो तेजस्वी अपनी दम पर कुछ नहीं कर सकते थे. लालू परिवार कतई नहीं चाहता है कि बिहार में तेजस्वी यादव को टक्कर देता हुआ कोई युवा नेता उभरकर सामने आए. यही वजह है कि तेजस्वी को हमेशा ही कन्हैया कुमार से एलर्जी रही है. 

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