Hajipur Lok Sabha Seat: बिहार की हाजीपुर सीट पर इस बार मुकाबला काफी कड़ा होने वाला है. यहां एनडीए की ओर लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान का मुकाबला महागठबंधन की ओर से राजद प्रत्याशी शिवचंद्र राम से है. इस क्षेत्र में मुख्य मुकाबला इन दोनों के बीच ही माना जा रहा है. बता दें कि 19.53 लाख से ज्यादा मतदाताओं वाले हाजीपुर संसदीय क्षेत्र में हाजीपुर, लालगंज, महुआ, राजापाकर, राघोपुर तथा महनार विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. हाजीपुर संसदीय क्षेत्र 1952 में सारण सह चंपारण संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था. वर्ष 1957 में यह क्षेत्र अस्तित्व में आया. 1957 से 1971 तक यह क्षेत्र केसरिया संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था. पिछले चुनाव में यहां से रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस विजयी हुए थे. 


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रामविलास ने यहां से रिकॉर्ड वोटों से जीतकर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराया था. यहां की सियासत चार दशक तक रामविलास पासवान के इर्द गिर्द घूमती रही है. पिछले चुनाव से इस बार परिस्थितियां बदली नजर आ रही हैं. पिछले चुनाव से अलग इस चुनाव में रामविलास की इस कर्मभूमि से उनके पुत्र चिराग पासवान चुनावी मैदान में उतरे हैं. इस चुनाव में जहां पासवान को जाति के आधार पर वोट, भाजपा और जदयू के कैडर वोट और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भरोसा है, वहीं राजद के प्रत्याशी को अपने सामाजिक समीकरण से चुनावी वैतरणी पार करने का विश्वास है. मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में दोनों गठबंधनों के नेता भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. 


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रामविलास के निधन के बाद लोजपा दो गुटों में बंट गई. चिराग और उनके चाचा पारस में मतभेद हो गया. दोनों अलग अलग पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं. इस सीट पर दोनों ने दावेदारी की, लेकिन अंत में यह सीट चिराग के हाथ आ गई. हालांकि उनके चाचा पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोजपा भी एनडीए के साथ है. पिछले चुनाव में चिराग जमुई से सांसद चुने गए थे. जातीय आधार पर इस क्षेत्र में यादव, राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा और पासवान की संख्या अधिक है. अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं.


सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाजीपुर में चिराग के समर्थन में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए रामविलास पासवान को याद किया. उन्होंने रामविलास पासवान को सामाजिक न्याय का सच्चा साधक बताया और कहा कि रामविलास जी की आत्मा को चिराग के सिर्फ जीतने भर से शांति नहीं मिलेगी, उनकी आत्मा को शांति तब मिलेगी जब उन्हें रामविलास पासवान से ज्यादा वोट मिलेंगे. माना जाता है कि दोनों गठबंधन में शामिल दलों को अपने वोट बैंक और कैडर वोटों को अंतिम समय तक सहज कर रखना चुनौती है. हालांकि राजद प्रत्याशी शिवचंद्र राम के लिए राजद ने पूरा जोर लगाया है.


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बहरहाल, चिराग पासवान को जहां सवर्ण जातियों के साथ-साथ मोदी और नीतीश के नाम और भाजपा के कैडर वोटों का सहारा है, वहीं शिवचंद्र राम को अपने वोट बैंक पर भरोसा है. अब इनके भरोसा पर मतदाता कितने खरा उतरते हैं, यह तो चार जून को चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा. बता दें कि हाजीपुर में पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होना है.