Bihar Politics: लालू यादव या कांग्रेस, नीतीश कुमार के पलटी मारने का असली कारण कौन?
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Bihar Politics: लालू यादव या कांग्रेस, नीतीश कुमार के पलटी मारने का असली कारण कौन?

Lok Sabha Election 2024: बीजेपी की मदद से 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नीतीश ने कहा कि हम पहले भी बीजेपी के साथ थे, बीच में कहीं गए थे, अब फिर से साथ आ गए. अब सब दिन साथ रहेंगे. नीतीश जहां राजद पर हमलावर हैं, वहीं जेडीयू ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. 

फाइल फोटो

Lok Sabha Election 2024: बिहार की महागठबंधन सरकार महज 17 महीने बाद भरभराकर गिर गई. जिस नीतीश कुमार ने बीजेपी के खिलाफ विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की नींव रखी थी, वही अब फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुणगान कर रहे हैं. नीतीश ने रविवार (28 जनवरी) को एक बार फिर से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. महागठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने राजद पार्टी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि सरकार के सभी कामों का क्रेडिट वहीं (आरेजडी) ले रही थी, मैं काम कर रहा था लेकिन मुझे काम नहीं करने दिया जा रहा था, दोनों तरफ तकलीफ थी. 

बीजेपी की मदद से 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नीतीश ने कहा कि हम पहले भी बीजेपी के साथ थे, बीच में कहीं गए थे, अब फिर से साथ आ गए. अब सब दिन साथ रहेंगे. नीतीश जहां राजद पर हमलावर हैं, वहीं जेडीयू ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. जेडीयू नेता केसी त्यागी ने तो साफ शब्दों में कह दिया कि इसके लिए राजद से ज्यादा कांग्रेस जिम्मेदार रही. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का एक कोकस इंडिया गठबंधन के नेतृत्व को हड़पना चाहता था. 19 दिसंबर को जब इंडिया गठबंधन की बैठक हुई, तो साजिश के तहत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए सुझाया गया.

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त्यागी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि जितने भी गैर-कांग्रेस क्षेत्रीय दल हैं, उन्होंने कांग्रेस से लड़कर अपना स्थान बनाया है. कांग्रेस अब अपने सर्वाइवल के लिए लड़ रही है और क्षेत्रीय दलों की लीडरशिप को समाप्त करना चाहती है. उन्होंने कहा कि हमें अफसोस और राहत दोनों ही है कि इंडिया गठबंधन के पहले संयोजक नीतीश कुमार और जेडीयू ने खुद को इससे अलग कर लिया है. अब हम एनडीए गठबंधन के साथ हैं. नीतीश के पाला बदलने के बाद महागठबंधन का पूरा गेम बिगड़ चुका है. कांग्रेसी अब नीतीश पर अपनी खीझ निकालने में जुटे हैं. 

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि नीतीश कुमार रंग बदलने में गिरगिट को भी मात देने में लगे हुए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो यहां तक कह दिया कि उन्हें इसके बारे में पता था. उन्होंने कहा कि लालू यादव और तेजस्वी ने बहुत पहले ही बता दिया था कि ये भरोसे के काबिल नहीं है. खड़गे ने कहा कि नीतीश को इसी कारण इंडी अलायंस का संयोजक नहीं बनाया गया था. हम तो सिर्फ गठबंधन के कारण कुछ नहीं बोल रहे थे. 

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लालू यादव की ओर से जेडीयू को तोड़ने की प्लानिंग चल रही थी. नीतीश कुमार को सही समय पर इसकी भनक लग गई और नीतीश तुंरत सचेत हो गए. उन्होंने अपनी पार्टी के उस नेता को दंडित करके लालू का पूरा प्लान फेल कर दिया. राजद अध्यक्ष की ओर से कुछ ऐसा ही करने का प्रयास 2017 में भी किया गया था. उस वक्त भी नीतीश ने अपनी पार्टी बचा ली थी और आज भी अपनी पार्टी को बचाते हुए नजर आ रहे हैं. उन्होंने यूटर्न लेकर राजद को दूध में पड़ी मक्खी की तरह से सत्ता से बाहर निकाल कर फेंक दिया. 

उधर नीतीश की पलटी के पीछे राहुल गांधी का बड़ा हाथ है. ये सच है कि नीतीश ने जिस इंडी अलायंस की नींव रखी थी, कांग्रेस उसे हड़प रही थी. इंडी अलायंस में जब सभी लोग नीतीश को संयोजक बनाने पर सहमत हो गए थे, तब राहुल ने ममता बनर्जी के रूप में अडंगा लगाने का काम किया था. उसके तुरंत बाद राहुल इसे या तो भूल गए या नजरअंदाज करने का फैसला लिया. कांग्रेस की ओर से ना तो नीतीश को साधने की कोशिश हुई और ना ही ममता बनर्जी से संपर्क साधा गया. नतीजा ये हुआ कि एक इंडी अलायंस से बाहर हो चुका है और दूसरा भी लगभग बाहर ही है. अब गांधी परिवार को अफसोस हो रहा होगा कि कैसे उन्होंने नीतीश को 'इंडिया' का संयोजक बनाकर शांत करने का सुनहरा मौका गंवा दिया. 

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