Bihar Political Crisis: बीजेपी के साथ मिलकर नीतीश सफलता के नई सीढ़ियां चढ़ते गए, वहीं लालू यादव की पार्टी राजद की हालत पतली होती गई. एक वक्त तो ऐसा आया कि 10 साल तक लालू यादव का पूरा परिवार राजनीतिक वनवास में रहा.
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Bihar Political Crisis: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू यादव की राजनीतिक ग्रॉफ को देखें तो छोटा भाई हमेशा से ही भारी पड़ा है. नीतीश कुमार ने साल 1994 में अपने राजनीतिक करियर ही शुरुआत ही लालू यादव के विरोध से की थी. तब नीतीश ने लालू के विरोध में जनता दल को तोड़कर समता पार्टी का गठन किया था. तब से लेकर आजतक बिहार के सियासी संग्राम में हर बार नीतीश ही विजेता रहे और राजनीति के धुरंधर लालू को मात खानी पड़ी. राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले लालू यादव कभी नीतीश की चाल को समझ नहीं पाए.
बीजेपी के साथ मिलकर नीतीश सफलता के नई सीढ़ियां चढ़ते गए, वहीं लालू यादव की पार्टी राजद की हालत पतली होती गई. एक वक्त तो ऐसा आया कि 10 साल तक लालू यादव का पूरा परिवार राजनीतिक वनवास में रहा. इसके बाद 2015 में लालू ने अपनी पार्टी और परिवार को राजनीतिक सहारा देने के लिए नीतीश को लालच देकर अपने साथ मिलाया. लेकिन 2017 आते-आते नीतीश ने लालू को पटखनी दे दी. 2022 में लालू को फिर से अपने बेटों के भविष्य की चिंता सताई तो उन्होंने फिर से नीतीश के मन में लोभ जगाया और अपने बेटों को मंत्री बनवा दिया. हालांकि, नीतीश एक बार फिर से लालू के दोनों लाल को बेरोजगार करने वाले हैं.
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नीतीश कुमार एक बार फिर से पलटी मारकर एनडीए में रीएंट्री करने वाले हैं. बीजेपी नेता भी नीतीश कुमार का पलक पावड़े बिछाकर स्वागत करने को तैयार खड़े हैं. वहीं एनडीए के साथी जीतन राम मांझी से लेकर चिराग पासवान तक तो आज ही बड़ा परिवर्तन का दावा कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के साथ उनकी सारी सेटिंग हो चुकी है. 2020 वाले फॉर्मूले पर ही नई सरकार का गठन होगा. 2020 में जो मंत्रालय का बंटवारा हुआ था, वहीं बरकरार रहने की संभावना है. बीजेपी आलाकमान की ओर से इसकी हरी झंडी मिल चुकी है. इस तरह से नई सरकार में भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे और बीजेपी को दो डिप्टी सीएम बनाने का मौका मिलेगा.
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वहीं लालू यादव भी इतनी जल्दी हार मानने को तैयार नहीं है. उन्होंने खुद कमान संभाल ली है. उन्होंने जेडीयू से अलग होकर राजद के नेतृत्व में सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. बिहार विधानसभा में संख्याबल के हिसाब से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने के लिए सिर्फ 8 विधायकों की जरूरत है. इसके लिए लालू यादव अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं. सूत्रों के मुताबिक, लालू यादव की ओर से जीतन राम मांझी के बेटे और पूर्व मंत्री संतोष सुमन को अपनी सरकार में डिप्टी सीएम का पद ऑफर किया गया है. वहीं बिहार में AIMIM के इकलौते विधायक अख्तरुल इमान और निर्दलीय विधायक मंत्री सुमित सिंह को भी अपने पाले में लाने की कोशिश की जा रही है. इसके आलावा JDU के असंतुष्ट विधायकों से भी संपर्क साधा जा रहा है.