Bihar Political Crisis: संजय झा हैं नीतीश कुमार 9.0 के असली शिल्पकार, JDU को NDA में फिर से लाने में निभाई बड़ी भूमिका
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2082726

Bihar Political Crisis: संजय झा हैं नीतीश कुमार 9.0 के असली शिल्पकार, JDU को NDA में फिर से लाने में निभाई बड़ी भूमिका

Bihar Political Crisis: संजय झा भाजपा के यूथ विंग के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे थे. संजय झा 1992 से चंद्रिका प्रकाशन का संचालन कर रहे हैं. इस प्रकाशन के बैनर तले कई तरह के राजनीतिक और प्रतियोगिता संबंधित पुस्तकों का प्रकाशन होता रहा है.

बिहार की खबरें (File Photo)

Bihar Political Crisis: दिसंबर में पटना में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक हुई थी, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की थी. उस बैठक में अमित शाह जेडीयू नेता और तत्कालीन मंत्री संजय झा से काफी प्रभावित हुए थे और उनके प्रेजेंटेशन की तारीफ भी की थी. अमित शाह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक को बिहार सरकार के लिए टर्निंग प्वाइंट माना जा रहा है. अंदर की खबरों की मानें तो संजय झा को ही नीतीश कुमार के एनडीए में आने और उन्हें नौंवी बार मुख्यमंत्री बनाने का शिल्पकार माना जा रहा है. माना जा रहा है कि संजय झा की सोच की ही बदौलत नीतीश कुमार एनडीए में आने के लिए मोटिवेट हुए. संजय झा ने न केवल नीतीश कुमार को एनडीए में आने के लिए मोटिवेट किया, बल्कि उन्होंने ही भाजपा नेताओं से संपर्क भी किया. मतलब यह कि इस बार बिहार में जो भी उथलपुथल हुई, उसके असली शिल्पकार संजय झा ही माने जा रहे हैं. कहा यह भी जा रहा है कि भाजपा नेताओं ने जेडीयू को समर्थन की चिट्ठी भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नहीं, संजय झा को ही सौंपा था. नीतीश कुमार 9.0 का खाका लेकर संजय झा ही भाजपा कार्यालय गए थे. 

संजय झा ने भाजपा के साथ डील करने में अहम भूमिका निभाई. संजय झा दरअसल भाजपा से ही जेडीयू में गए हैं और वे नीतीश कुमार के बहुत ही करीबी हैं, इसलिए उनके लिए भाजपा नेताओं से बातचीत करना सहज था और उन्होंने यह काम बखूबी निभाया. भाजपा के साथ जाने की पहली कड़ी थी जेडीयू अध्यक्ष पद में बदलाव करना और कहा जा रहा है कि संजय झा और विजय चौधरी ने नीतीश कुमार को इसके लिए मनाया था. एक समय लग रहा था कि ललन सिंह का झुकाव राजद की ओर हो रहा था. नीतीश के अध्यक्ष बनने के बाद से ही एनडीए से डील का रास्ता साफ होता चला गया. 

संजय झा की प्रोफाइल की बात करें तो वे मधुबनी जिले के गांव अरड़िया से ताल्लुक रहते हैं. जेएनयू, दिल्ली से संजय झा ने मास्टर क्लास किया है. संजय झा ने मंत्री रहते मिथिलांचल में कोशी डैम को लेकर बहुत काम किया है और अमित शाह की अध्यक्षता में उन्होंने जो प्रेजेंटेशन दिया था, वह भी कोशी डैम को लेकर ही था, जिसकी अमित शाह ने बहुत तारीफ की थी. संजय झा भाजपा के यूथ विंग के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे थे. संजय झा 1992 से चंद्रिका प्रकाशन का संचालन कर रहे हैं. इस प्रकाशन के बैनर तले कई तरह के राजनीतिक और प्रतियोगिता संबंधित पुस्तकों का प्रकाशन होता रहा है. इन पुस्तकों का संपादन भी संजय झा करते रहे हैं. चंद्रिका प्रकाशन ने ही 1999 में सीबीआई के तत्कालीन निदेशक जोगिंदर सिंह की किताब इनसाइड सीबीआई का प्रकाशन किया था. इसके अलावा संजय झा ने कृषि, टेलीमेडिसिन, एग्रो बेस्ड इंडस्ट्री, कम्युनिकेशन पर कई सेमिनार किए, जो काफी सफल रहे हैं. 

यह भी पढ़ें: Bihar Political Crisis: बिहार में नई सरकार, पढ़िए 10 वह खबरें जो आपसे छूट गईं!

संजय झा की रुचि की बात करें तो ग्रामीण विकास, आर्थिक उन्नति, वन और पर्यावरण विकास के लिए काम करने के अलावा जलवायु परिवर्तन को लेकर उनका रुझान ज्यादा रहा है. इन सबके अलावा, अब वे बिहार की सत्ता के शिल्पकार के रूप में उभरकर सामने आए हैं. आज की बात करें तो नीतीश कुमार जेडीयू में अगर कुछ नेताओं पर बहुत हद तक भरोसा करते हैं तो उनमें टाॅप पर संजय झा आते हैं. आगामी लोकसभा चुनाव में माना जा रहा है कि संजय झा दरभंगा से ताल ठोकने वाले हैं पर अगर भाजपा से तालमेल होता है तो यह देखना होगा कि दरभंगा सीट भाजपा उनके लिए छोड़ती है या नहीं.

Trending news