70 दिन में 4 लाख नौकरी और जातीय जनगणना का क्रेडिट किसके हिस्से? नीतीश कुमार के एनडीए में आने से सब गड्डमड्ड
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70 दिन में 4 लाख नौकरी और जातीय जनगणना का क्रेडिट किसके हिस्से? नीतीश कुमार के एनडीए में आने से सब गड्डमड्ड

Bihar Politics: बिहार में नीतीश कुमार के पाला बदलते ही क्रेडिट वार शुरू हो गया है. तेजस्वी यादव 70 दिन में 4 लाख नौकरयिों की क्रेडिट ले रहे हैं तो नीतीश कुमार स्वाभावि​क तौर पर इस पर दावा ठोक रहे हैं. दूसरी ओर, भाजपा का कहना है कि यह सब उसकी सरकार में किए गए कार्यों को आगे बढ़ाया गया है. 

नीतीश कुमार, सम्राट चौधरी और तेजस्वी यादव

Bihar Politics: बिहार में 9 जुलाई 2022 को नीतीश सरकार (Nitish Kumar) जब महागठबंधन (Mahagathbandhan) कोटे से मुख्यमंत्री बने थे, उसके बाद बिहार में जातीय जनगणना (Bihar Caste Census) की कवायद तेजी से शुरू की गई. हालांकि बीच में कोर्ट में भी जातीय जनगणना की लड़ाई बिहार सरकार ने लड़ी और अंत में उसे जातीय जनगणना कराने की छूट मिल गई. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी बिहार में जातीय जनगणना पर रोक नहीं लगाई. उसके बाद बिहार में नौकरियां देने की कवायद शुरू की गई. पिछले साल के अंत में 70 दिनों में 4 लाख लोगों को सरकारी नौकरियां दी गईं. अब सरकार के मुखिया तो नीतीश कुमार ही हैं पर सरकार का स्वरूप बदल गया है. नाम बदल गया है. महागठबंधन की जगह एनडीए सरकार (NDA Govt) ने ले ली है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि 70 दिन में 4 लाख नौकरी और जातीय जनगणना का क्रेडिट किसके हिस्से में जाएगा. 

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वैसे तो सरकार के मुखिया होने के नाते क्रेडिट नीतीश कुमार के हिस्से में ही जाना चाहिए पर जब से नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार से इस्तीफा देकर एनडीए की नई सरकार बनाई है, तब से राजद की ओर से डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी यादव इसका क्रेडिट लेते दिखाई दे रहे हैं. चाहे मीडिया से बातचीत में हो या फिर अखबारों में दिए गए विज्ञापन, राजद की ओर से तेजस्वी को युवाओं के नायक के रूप में पेश किया जा रहा है. लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने भी एक ट्वीट कर तेजस्वी यादव के खाते में पूरा क्रेडिट डालने की कोशिश की है. 

उधर, नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार के तौर पर इस्तीफा देने के बाद कहा था, उधर कोई कामकाज नहीं करने दिया जा रहा था. बहुत गड़बड़ हो रही थी. जो हो रहा था, वो सही नहीं हो रहा था. जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश सरकार के कार्यकाल में किए गए ऐतिहासिक कार्यों का क्रेडिट नीतीश कुमार को दे रहे हैं. जेडीयू नेताओं का स्पष्ट तौर पर कहना है कि नीतीश कुमार ने 7 निश्चय कार्यक्रम के तहत ये सब काम किए हैं. उधर, भाजपा नेताओं का भी कहना था कि 2020 में जो सरकार बनी थी, उसके अधूरे कार्यों को पूरा किया गया है. कोई नया काम नहीं किया गया है. 

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इस तरह बिहार में जो भी पिछली सरकार के दौरान काम हुए हैं, उसका क्रेडिट लेने की होड़ मची है. राजद नेताओं की ओर से कहा जा रहा है कि यह विश्व रिकॉर्ड है कि 70 दिन में 4 लाख लोगों को नौकरियां दी गईं और वे इसका श्रेय तेजस्वी यादव को दे रहे हैं. दूसरी ओर, नीतीश कुमार की पार्टी इसका भरपूर श्रेय लेने की कोशिश कर रही है तो भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि यह उसके द्वारा किए गए कार्यों को पूरा भर किया गया है और कोई नया काम नहीं किया गया है.

अब जनता को तय करना है कि बिहार में पिछले दिनों जो भी काम हुए हैं, उसका क्रेडिट किसके ​खाते में वह डालती है. 70 दिनों में 4 लाख लोगों को नौकरी दी गई है, यह एक तथ्य है और इससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता. दूसरी ओर, कई पुल धंस गए, उसका भी क्रेडिट किसी न किसी के खाते में जाना चाहिए. उसका क्रेडिट लेने से सब बच रहे हैं. राजद नेता जब यह दावा करते हैं कि हमारे चलते 70 दिन में 4 लाख लोगों को नौकरी दी गई, आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई और जातीय जनगणना करवाया गया तो यह क्रेडिट भी लेना चाहिए कि उनके कार्यकाल में बिहार में कई निर्माणाधीन पुल भी जमींदोज हुए. नीतीश कुमार की सरकार तो इसके लिए जिम्मेदार है ही, चाहे वह महागठबंधन की नीतीश सरकार हो या फिर एनडीए की नीतीश कुमार की सरकार. 

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