जानकार इसे सरकार में इच्छा शक्ति की कमी बता रहे हैं, तो सरकार मास्टर प्लान लागू करने की दुहाई दे रही है.
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पटना: 2016 में बना राजधानी पटना का मास्टर प्लान अब तक लागू करने की दिशा में निर्णायक पहल नहीं हो पाई है. अभी तक शहर के सर्वे का काम भी पूरा नहीं हुआ है. इस बीच शहर के नये इलाकों में मनमाने ढंग से आवासीय भवन बनने का सिलसिला जारी है. जानकार इसे सरकार में इच्छा शक्ति की कमी बता रहे हैं, तो सरकार मास्टर प्लान लागू करने की दुहाई दे रही है.
अक्तूबर 2016 में पटना शहर के नये मास्टर प्लान को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दी थी, तब से अब तक सिर्फ शहर के सर्वे का काम हो रहा है. तीन साल में सर्वे तक पूरा नहीं हो पाया है, जिसको लेकर सवाल उठ रहे हैं. मास्टर प्लान में पटना का विकास फतुहा से लेकर बिहटा तक होना है, लेकिन जमीनी स्तर पर कहें, तो इन इलाकों में जो विकास हो रहा है, उसमें किसी तरह के मास्टर प्लान का पालन नहीं हो रहा है. जानकार इसे राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी बता रहे हैं.
मास्टर प्लान में राजधानी पटना के प्लानिंग एरिया का क्षेत्रफल 1167 वर्ग किलो मीटर तय किया गया था, जबकि 563 वर्ग किलोमीटर में विकास होना था, लेकिन ये सब अभी सिर्फ कागजों तक में सीमित है. जिसको लेकर राजनीतिक विरोधी सवाल कर रहे हैं.
राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप से अलग नगर विकास मंत्री का कहना है कि जब सर्वे रिपोर्ट आयेगी, उसके बाद ही आगे का काम शुरू होगा. वो पटना को मेट्रोपोलिटन सिटी बनाने का संकल्प दुहरा रहे हैं.
सरकार की ओर से लाख दावा किया जा रहा है, लेकिन जो हकीकत जमीन पर दिखती है, वो भयावह है. अगर इसमें शीघ्र सुधार नहीं किया गया, तो सुंदर, स्वच्छ और स्मार्ट पटना की कल्पना मास्टर प्लान की तरह सिर्फ कागजों तक में सीमित रह जायेगी.