बिहार के कई जगहों पर सुबह से ही बंद समर्थक सड़कों पर उतरे और आवागमन प्रभावित किया. पूर्वी चंपारण जिले में बंद समर्थक अपनी मांगों के समर्थन में सड़क पर उतरे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
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पटना: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और वामपंथी दलों के दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बंद का पहले दिन मंगलवार को बिहार में भी मिला-जुला असर देखने को मिल रहा है. पटना सहित राज्य के कई जिलों में बंद समर्थक सड़कों पर उतरे और सरकार के विरोध में नारेबाजी की.
बिहार के कई जगहों पर सुबह से ही बंद समर्थक सड़कों पर उतरे और आवागमन प्रभावित किया. पूर्वी चंपारण जिले में बंद समर्थक अपनी मांगों के समर्थन में सड़क पर उतरे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर करीब सभी बैंकों में ताले लटके हैं. यहां जिला अधिकारी कार्यालय के सामने भी बंद समर्थकों ने प्रदर्शन किया.
पटना में भी आंदोलनकारी सड़क पर उतरे और पटना आकाशवाणी से डाक बंगला तक जुलूस निकालकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. इस दौरान सड़कों पर आवागमन पूरी तरह ठप हो गया. पटना के कई बैंकों के सामने बंद समर्थक अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं. ट्रेड यूनियनों के अलावा आशा कार्यकर्ता, रसोइया संघ के लोग भी अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतर आए हैं.
बिहार जनरल मजदूर यूनियन के महासचिव अरविंद सिन्हा ने कहा कि सरकार आर्थिक सुधार के नाम पर मजदूरों के साथ अन्याय कर रही है. उन्होंने कहा कि श्रम विरोधी नीति के विरोध में यह आगाज है, अगर सरकार नहीं चेती तो आगे अनिश्चितकालीन बंद किया जाएगा.
उधर, गया, मधुबनी, बांका, दरभंगा में भी श्रमिक संघों के अलावा आशा कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे और सरकार का विरोध किया. कई क्षेत्रों से बंद के कारण आवागमन पर भी प्रतिकूल असर देखा गया है.
बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष विश्वनाथ सिंह ने कहा कि नई पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर पुरानी व्यवस्था से पेंशन दी जाए. ठेका, संविदा, मानदेय, आउटसोर्सिग की व्यवस्था समाप्त कर सभी कर्मियों को नियमित किया जाए. बंद को देखते हुए पटना की सड़कों पर अतिरिक्त पुलिस बलों की तैनाती की गई है. (इनपुट IANS से भी)