बिहार में AES से 100 से अधिक बच्चों की मौत, आखिर कहां हुई बड़ी चूक...
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बिहार में AES से 100 से अधिक बच्चों की मौत, आखिर कहां हुई बड़ी चूक...

 मुजफ्फरपुर में एईएस का प्रकोप शुरू हुआ और अब यह इसके आसपास के जिलों में भी पैर पसारना शुरू कर दिया है. अब तक आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में 102 बच्चों की मौत हो चुकी है.

बिहार में एईएस बीमारी से बच्चों की मौत हो रही है.

पटनाः बिहार के मुजफ्फरपुर में एईएस का प्रकोप शुरू हुआ और अब यह इसके आसपास के जिलों में भी पैर पसारना शुरू कर दिया है. अब तक आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में 102 बच्चों की मौत हो चुकी है. ऐसे में अब यह लोगों के लिए दहशत बनता जा रहा है. हालांकि, सरकार की मानें तो उनका कहना है कि हालात कंट्रोल में हैं लेकिन मौत के आंकड़े कुछ और ही बयान कर रहे हैं. मजुफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में रोजाना बच्चों की लाश बाहर आ रही है. जो काफी हृदयविदारक है. ऐसे में सरकार की बातें खोखली नजर आती हैं.

रोजाना आधा दर्जन बच्चों की मौत इलाज के दौरान हो रहा है. ऐसे में सवाल लाजमी है कि आखिर चूक कहां हो रही है. कुछ नेताओं का कहना है कि बीमारी दस्तक देके नहीं आती है. वहीं, सीएम नीतीश कुमार का कहना है कि लोगों में जागरुकता अभियान में गड़बड़ी होने से इस साल परेशानी बढ़ गई है. तो ऐसे में किसकी चूक है जिससे बच्चे काल की गाल में जा रहे हैं.

जागरुकता अभियान में चूक
एईएस बीमारी ने पहले मुजफ्फरपुर में पैर पसारना शुरू किया लेकिन इसके बाद अब मोतिहारी, वैशाली, समस्तीपुर और बेगूसराय तक यह पहुंच चुका है. मरनेवाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. तो ऐसे में यह भी सवाल खड़ा होता है कि अगर यह बीमारी जब मुजफ्फरपुर में अपना पैर पसार रही थी तो इसे आसपास के इलाकों में फैलने से बचाने के लिए क्या आवश्यक कदम उठाए गए. जिस जागरुकता में चूक की बात सीएम नीतीश कुमार कर रहे थे क्या उनके अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लिया. साफ है कि जागरुकता अभियान में अभी भी चूक हो रही है.

स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी हो रही चूक
बिहार में करीब एक माह से एईएस का प्रकोप दिख रहा है. लेकिन जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को इलाज के लिए तैयार नहीं किया जा सका है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जाते ही बच्चों को फौरन एसकेएमसीएच में रेफर कर दिया जाता है. साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों के उपलब्ध नहीं होने की भी शिकायत की जाती है. ऐसे में सवाल यह है कि स्वास्थ्य केंद्र इस बीमारी के लिए सचमुच कितना अलर्ट है.

बीमारी के बारे में किसी को नहीं मूल जानकारी
एईएस बीमारी के बारे में सरकार का ही कहना है कि इस बीमारी के बारे में मूल जानकारी नहीं मिल सकी है. इस बारे में कई धारणाएं सामने आ रही है. जिसपर कोई एक मत नहीं बन पाया है. पिछले दिनों सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि यह जापानी इंसेफेलाइटिस बल्कि कोई और बीमारी है जो ऐसी ही प्रतीत हो रही है. इसके लिए टीम काम कर रही है. हालांकि, बीमारी मुजफ्फरपुर में इस साल से नहीं बल्कि पिछले कुछ सालों से चली आ रही है. लेकिन इसके प्रति डॉक्टरों और विशेषज्ञों द्वारा काम धीमी गति से चल रहा था. वहीं, जागरुकता फैलाने वाली टीम भी इससे बेखबर थी. ऐसे में न तो किसी के पास बीमारी की मूल जानकारी है और न ही लोगों में इसके प्रति जागरुकता है.