इसको पर जेडीयू प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में अनुसूचित जाति-जनजाति के कल्याण के लिए किये गए एलान बेहद महत्वपूर्ण हैं. सीएम नीतीश कुमार ने संदेश दिया है समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए समर्पित हैं.
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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhansabha election) से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने बड़ा दलित कार्ड खेला है. सीएम नीतीश ने अनुसूचित जाति- जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत सर्तकता मीटिंग में आदेश दिया कि अगर एससी-एसटी परिवार के किसी सदस्य की हत्या होती है, वैसी स्थिति में पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान बनाया जाए.
सीएम नीतीश ने अफसरों से कहा कि तत्काल इसके लिए नियम बनाएं ताकि पीड़ित परिवार को लाभ दिया जा सके.
इसको पर जेडीयू प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में अनुसूचित जाति-जनजाति के कल्याण के लिए किये गए एलान बेहद महत्वपूर्ण हैं. सीएम नीतीश कुमार ने संदेश दिया है समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए समर्पित हैं.
वही बीजेपी एमएलसी संजय पासवान दलितों के लिए मुख्यमंत्री की घोषणा को स्वागत योग्य बताया. बिहार की राजनीति में फोर दलित ऑफ दलित बाई-दलित की राजनीति को देर से आए लेकिन दुरुस्त आए की राजनीति बताया.
संजय पासवान ने कहा कि बतौर दलित नेता मेरे लिए बेहद खुशी की बात है कि बिहार में अब दलितों की पुकार भी सुनी जाएगी. उत्तर प्रदेश की राजनीति में जिस तरीके से पूर्ण आवृत्ति हुई सत्ता जाने की थी, उसी तरीके से बिहार की राजनीति में भी यही होगा.
उन्होंने कहा कि सत्ता पहले सवर्णों के हाथ में थी. फिर ओबीसी के हाथ में गई और अब दलितों के हाथ में जानी चाहिए. तथाकथित महागठबंधन जिसमें अब सिर्फ आरजेडी और कांग्रेस बचे हैं उनको भी दलितों का सम्मान करते हुए किसी दलित नेता को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करना चाहिए.
बिहार की राजनीति में दलितों को उचित सम्मान मिलना भारतीय जनता पार्टी सदैव यह करते आई है और अब नीतीश कुमार भी इसके पक्ष में है जिनका हम खुले दिल से स्वागत करते हैं.
वही जेडीयू नेता ददन यादव ने इसका जवाब देते हुए कहा कि सीएम हमेशा से दलितों की बात करते आए हैं. नीतीश कुमार हर जाति को अपना मानते हैं और दलितों के लिए एक ही नेता है जो उनके हित में बात करता है. वह है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. यह बहुत ही सुखद है कि दलितों को किसी तरीके की अब पीड़ा नहीं सहनी होगी.
इस मामले पर कांग्रेस विधायक विजय शंकर दुबे ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दलितों के लिए जो बात कर रहे हैं, वह महज सिर्फ प्रलोभन है. क्योंकि इस तरीके की नीति को लागू करने के लिए सदन में बात करनी होती है. कानून बनाना होता है और फिर उसको लागू करना होता है.
उसके लिए कम से कम 1 महीने चाहिए जो अब नहीं है क्योंकि चुनाव मुहाने पर है. तो नीतीश कुमार दलितों को यह लालच ना दें.