बिहार का ऐसा शिव मंदिर जहां पूरे सावन महीने रहता है पट बंद! नदी की धारा यहां करती है जलाभिषेक
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बिहार का ऐसा शिव मंदिर जहां पूरे सावन महीने रहता है पट बंद! नदी की धारा यहां करती है जलाभिषेक

शिव की महिमा शिव ही जानें, आपने ये सुना होगा लेकिन, यह सच है. जहां शिव को सावन का महीना बेहद पसंद है. वहीं शिव का कोई भी ऐसा मंदिर नहीं होगा जहां इस महीने शिव की पूजा के लिए भक्तों की भीड़ नहीं उमड़ती हो. शिव का जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता नहीं लगता हो.

(फाइल फोटो)

Baba Dhaneshwarnath Temple: शिव की महिमा शिव ही जानें, आपने ये सुना होगा लेकिन, यह सच है. जहां शिव को सावन का महीना बेहद पसंद है. वहीं शिव का कोई भी ऐसा मंदिर नहीं होगा जहां इस महीने शिव की पूजा के लिए भक्तों की भीड़ नहीं उमड़ती हो. शिव का जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता नहीं लगता हो. देश में कई ऐसे मंदिर हैं जहां भक्तों के लिए शिव रात्रि का विश्राम तक नहीं करते और यहां भक्तों के लिए शिव के मंदिर के पट इस पावन महीने में 24 घंटे खुला रखा जाता है. लेकिन, बिहार में भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है जहां इस पावन सावन महीने में भगवान शिव के मंदिर का पट पूरे महीने बंद रहता है. अरे ज्यादा सोचिए मत! इसके बाद भी यहां भगवान शिव का जलाभिषेक होता है और यह अभिषेक स्वयं बागमती नदी शिव का करती है. 

भगवान शिव के इस अद्भुत और चमत्कारी मंदिर का नाम है बाबा धनेश्वरनाथ मंदिर जो बिहार के मुजफ्फरपुर में स्थित है. इस मंदिर में भगवान का जलाभिषेक स्वयं बागमती नदी करती है. जिस भक्त को बाबा धनेश्वर का जलाभिषेक करना होता है वह इस महीने बागमती नदी में अपना जल छोड़ देते हैं. बता दें कि मुजफ्फरपुर शहर के कटरा प्रखंड के धनोरा गांव में स्थित यह मंदिर बागमती नदी की बीच धारा में स्थित है. इस बागमती नदी में जब सावन में पानी बढ़ता है तो मंदिर पूरी तरह से डूब जाता है. ऐसे में बाबा के मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है. 

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यहां देश-विदेश से पूजा करने श्रद्धालु आते हैं. मंदिर काफी प्राचीन है औऱ पानी में डूबे रहने के बाद भी इसे कोई क्षति नहीं पहु्ंची है. इस मंदजिर के बारे में कहानी है कि इसे एक बार नदी के किनारे स्थापित करने की कोशिश की गई लेकिन इस शिवलिंग के छोर का पता ही नहीं लगा. इस मंदिर में भगवान शिव 6 महीने तक जल में विश्राम करते हैं. ऐसे में मंदिर का पट 6 महीने के लिए बंद कर दिया जाता है. यहां मंदिर तक पहुंचने के लिए नाव ही एक सहारा है. पानी नीचे उतरता है तो फिर चचरी पुल के सहारे लोग यहां तक आते हैं. 

इस बागमती नदी में आई उफान से हर साल बड़ी संख्या में घरों, मकानों, पुल, पुलिया को क्षति पहुंचती है लेकिन बाबा का मंदिर जस का तस है. शिवलिंग पर 8 से 10 फीट तक ऊपर से पानी बहता है. ऐसे में बाबा का जलाभिषेक स्वयं बागमती नदी करती है.  

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