कोरोना की दूसरी लहर के बीच अस्पतालों में लापरवाही, आयुष चिकित्सक कर रहे हैं Covid वार्ड में ड्यूटी
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कोरोना की दूसरी लहर के बीच अस्पतालों में लापरवाही, आयुष चिकित्सक कर रहे हैं Covid वार्ड में ड्यूटी

Bettiah Samachar: कोरोना से जंग में जिला प्रशासन पस्त हो गया है और मरीज बेहाल हैं. खाने के इंतजार में कोरोना संक्रमित मरीज से लेकर उनके परिजन बैठे हैं तो आयुष चिकित्सक अपनी जानकारी के अनुसार लोगों का कोरोना से इलाज कर रहें हैं.

आयुष चिकित्सक कर रहे हैं Covid वार्ड में ड्यूटी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Bettiah: कोरोना (Corona) संक्रमण की रफ्तार भले हीं धीमी हुई हो. लेकिन सरकारी अस्पतालों में कुव्यवस्था कम होने का नाम नहीं ले रहा है. आलम यह है कि नरकटियागंज अनुमंडल अस्पताल के आईसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों को यहां खाने-पीने से लेकर इलाज तक की समुचित व्यवस्था नहीं मिल रही है. तो वहीं पिछले पांच दिनो से 45 वर्ष से ऊपर के लोगों का वैक्सीनेशन बंद है.

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वहीं, हद तो यह है कि संसाधन व चिकित्सकों के अभाव के कारण यहां आयुष चिकित्सकों से कोविड (Covid) वार्ड में ड्यूटी कराई जा रही है तो वहीं नरकटियागंज पीएचसी को भी नरकटियागंज अनुमंडल अस्पताल में हीं मर्ज करके चलाया जा रहा है. इसके कारण यहां दो-दो जगह लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलता. वहीं, दोनो अस्पताल एक ही जगह संचालित हो रहे हैं. इसके कारण लोगों की परेशानी कोरोना काल में दुगनी हो गई है.

हाल यह है कि कोरोना से जंग में जिला प्रशासन पस्त हो गया है और मरीज बेहाल हैं. खाने के इंतजार में कोरोना संक्रमित मरीज से लेकर उनके परिजन बैठे हैं तो आयुष चिकित्सक अपनी जानकारी के अनुसार लोगों का कोरोना से इलाज कर रहें हैं.

इसके साथ ही मरीज बताते हैं कि चिकित्सक आते हीं नहीं बल्कि अपने जूनियर या फिर आयुष चिकित्सकों को इलाज के लिए भेज देते हैं. हैरानी की बात यह है कि संक्रमित मरीज का शव बेड पर देखिए कैसे ऑक्सीजन सिलिंडर के साथ पड़े है और घंटों बाद प्रशासन के सहयोग से हटाया गया है.  तब तक कितने लोग यहां आए और गए जिन्हें संक्रमण फैलने का खतरा सता रहा है. 

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बहरहाल यह समझा जा सकता हैं कि कोरोना जैसी माहमारी से जंग में बिहार सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था किस कदर धरासाई हो चुकी है. इसकी हकीकत पश्चिम चंपारण जिले का यह अस्पताल है. इसमें एक साथ पीएचसी और अनुमंडल अस्पताल नरकटियागंज संचालित किया जा रहा है. वहीं,  इसकी जानकारी खुद स्वास्थ्य प्रबंधक दे रहे हैं तो अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि मरीज और उनके परिजन कैसे यहां भगवान भरोसे हैं. 

(इनपुट-इमारन अज़ीज)

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