पैरों से किस्मत लिख रहा दोनों हाथ से दिव्यांग मुन्ना, हौसले को हर कोई कर रहा सलाम
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पैरों से किस्मत लिख रहा दोनों हाथ से दिव्यांग मुन्ना, हौसले को हर कोई कर रहा सलाम

Bihar News: हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते, हर तकलीफ में ताकत की दवा देते है. इस वाक्य को चरितार्थ कर दिखाया है एक दस वर्षीय मासूम दिव्यांग ने. दरअसल बेतिया मझौलिया प्रखंड के हरपुर गढ़वा के वार्ड नंबर सात का रहने वाला मुन्ना आलम गरीब परिवार से है उसके दोनों हाथ नहीं है.

पैरों से किस्मत लिख रहा दोनों हाथ से दिव्यांग मुन्ना, हौसले को हर कोई कर रहा सलाम

बेतिया: Bihar News: हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते, हर तकलीफ में ताकत की दवा देते है. इस वाक्य को चरितार्थ कर दिखाया है एक दस वर्षीय मासूम दिव्यांग ने. दरअसल बेतिया मझौलिया प्रखंड के हरपुर गढ़वा के वार्ड नंबर सात का रहने वाला मुन्ना आलम गरीब परिवार से है उसके दोनों हाथ नहीं है. वह पैरों से ही अपना सारा काम करता है. मुन्ना आलम आठवीं क्लास का छात्र है उसके दोनों हाथ नहीं है बावजूद इसके मुन्ना का हौसला जिन्दा है वह पैरों से ही लिखता है और आठवीं क्लास में अपने सहपाठीयो के साथ पढ़ाई कर रहा है. वो राजकीय मध्य विद्यालय गढ़वा उर्दू का छात्र है. मुन्ना पढ़ लिखकर शिक्षक बनना चाहता है जिसके लिए वह पढ़ाई कर रहा है. स्कूल के शिक्षक और उसके साथी उसके हौसले के कायल है.

स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि मुन्ना के लिए स्कूल में अलग से कमोड सीट लगाया जा रहा है जिससे उसे परेशानी नहीं हो. मुन्ना बेहद ही गरीब परिवार से आता है. मुन्ना 6 भाई बहन है और उसका परिवार बड़ी मुश्किल से चल रहा है. उसकी मां मैमूल नेशा का कहना है कि हमारे यहां चापाकल नहीं है. कमोड की व्यवस्था नहीं है. आज तक आवास योजना नहीं मिला है. मुन्ना को पालने में काफी परेशानी हो रही है. मुन्ना का परिवार सरकार से मदद की गुहार परिवार कर रहा है तो वही गांव के सरपंच पति फिरोज आलम ने बताया है की दिव्यांग बच्चे के लिए कमोड के साथ पढ़ने लिखने की सभी बुनियादी सुविधा सरकार को देना चाहिए

बेतिया का मुन्ना आलम दोनों हाथ से दिव्यांग है होने के बावजूद शिक्षक बनना चाहता है. वो अपने पैरों से लिखना खाना सब कुछ कर लेता. उसके हौसले को देख स्कूल वाले भी दंग है लेकिन सरकार के तरफ से इस जोश और जुनून से लबरेज दिव्यांग को जो सुविधा मिलनी चाहिए उसकी अभी भी दरकार है. इसका हौसला बना रहे और दूसरों के लिए मिसाल बने उसके लिए सरकार को भी इस दिव्यांग को मदद करने की जरूरत है.

इनपुट- धनंजय द्विवेदी

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