Bihar News: गोलमाल है भाई सब गोलमाल है! पैक्सों से गायब हो गए 733 करोड़ के चावल
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Bihar News: गोलमाल है भाई सब गोलमाल है! पैक्सों से गायब हो गए 733 करोड़ के चावल

Bihar News: राज्य से करीब सात अरब 33 करोड़ मूल्य का चावल सरकारी हिसाब से गायब है. स्टेट फाइनेंस कॉरपोरेशन (SFC) को चावल की आपूर्ति करने के लिए आज तक का वक्त है. 

गोलमाल है भाई सब गोलमाल है! पैक्सों से गायब हो गए 733 करोड़ के चावल

पटनाः Bihar News: बिहार में करीब 7 अरब 33 करोड़ रुपये कीमत का चावल सरकारी हिसाब से गायब हो गया है. स्टेट फाइनेंस कॉरपोरेशन (एसएफसी) को चावल की आपूर्ति करने की 31 जुलाई अंतिम तारीख है. इस अवधि में पैक्सों से खरीदे धान की मिलिंग कराकर एसएफसी को आपूर्ति करनी है. 

सात अरब 33 करोड़ मूल्य का चावल एसएफसी तक नहीं पहुंचा
निर्धारित तिथि के दो दिन पहले तक लगभग सात अरब 33 करोड़ मूल्य का चावल एसएफसी तक नहीं पहुंचा है. इस मामले में सहकारिता विभाग ने जांच का आदेश दिया है. तय तारीख में चावल की आपूर्ति एसएफसी को करने की चेतावनी दी है. किन परिस्थितियों में तय समय में चावल की आपूर्ति नहीं हुई, इसकी जांच होगी. गड़बड़ी मिलने पर प्रखंड सहकारिता पदाधिकारियों व पैक्सों के अध्यक्ष, प्रबंधक पर कार्रवाई का आदेश दिया है. 

अभी तक 2 लाख से ज्यादा एमटी चावल की नहीं हुई आपूर्ति 
वहीं राज्यभर से कुल 20 लाख 94 हजार 029 एमटी चावल की आपूर्ति एसएफसी को करनी है. 29 जुलाई यानी सोमवार की रिपोर्ट के अनुसार, 18 लाख 75 हजार 395 एमटी चावल ही एसएफसी को आपूर्ति की गयी है. अभी भी कुल 2 लाख 18 हजार 633 एमटी चावल की आपूर्ति नहीं हो पाई थी. इस रिपोर्ट के अनुसार, 11 फीसदी चावल की आपूर्ति एसएफसी को नहीं हुई थी. एक क्विंटल चावल की कीमत 3355 रुपये है. इस हिसाब से कुल 7 अरब 33 करोड़ 29 लाख 50 हजार 820 रुपये का चावल एसएफसी में नहीं पहुंचा है.

बीते साल भी SFC को बड़ी मात्रा में चावल की आपूर्ति नहीं हुई
साल 2022-23 में भी पैक्सों से खरीद और मिलिंग के बाद एसएफसी को बड़ी मात्रा में चावल की आपूर्ति नहीं हुई है. विभागीय के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस अवधि में लगभग 40 करोड़ रुपये मूल्य का चावल अभी तक एसएफसी को आपूर्ति नहीं हुई है. मामले में जांच जारी है.

कहीं धान खरीद कर तो कहीं मिलिंग के बाद बेच देने के मामले
वहीं पूर्व में धान खरीद से लेकर मिलिंग तक में गोलमाल हो चुका है. कहीं धान खरीद कर तो कहीं मिलिंग के बाद बाजार में बेच देने के मामले सामने आते रहते हैं. राज्यभर में इस तरह के मामले प्रकाश में आये हैं. 

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