खरीफ की फसल कटने के बाद धान व अन्य फसलों की पराली खेतों में रह जाती है. किसान दवा छिड़ककर या मशीन से फसल अवशेष का निस्तारण नहीं करते. जल्दबाजी के चक्कर में खेतों में पड़ी पराली का आग लगा देते हैं.
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पटना: बिहार में पराली से पैदा होने वाले धुआं से पर्यावरण को नुकसान पहुंचने को रोकने के लिए अब सरकार ने कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया है. सरकार अब खेतों में पराली जलाने वाले किसानों पर प्राथमिकी दर्ज कराएगी.
दरअसल, खरीफ की फसल कटने के बाद धान व अन्य फसलों की पराली खेतों में रह जाती है. किसान दवा छिड़ककर या मशीन से फसल अवशेष का निस्तारण नहीं करते. जल्दबाजी के चक्कर में खेतों में पड़ी पराली का आग लगा देते हैं. इसका नुकसान यह हो रहा है कि कार्बन के कण बढ़ने से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है.
सरकार अब पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एक्शन लेने के मूड में है. बिहार सरकार ने वायु प्रदूषण पर सख्ती बरतते हुए फसल अवशेषों (पराली) अ जलाने वाले किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश जारी किए हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि कार्रवाई के लिए राज्य के कई जिलों में विशेष टीम गठित की गई है. खेतों की मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखने और राज्य में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए किसानों पर कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.
नीतीश सरकार ने तय किया है कि फसल जलाने संबंधी घटनाओं की समीक्षा पंचायतों को दो समूहों में बांटकर की जाएगी. अधिकारी ने बताया कि जिन पंचायतों में ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं सामने आएगी वहां कृषि समन्यवकों की जिम्मेदारी तय की जाएगी.
उल्लेखनीय है कि राज्य में पटना और मगध प्रमंडल से पराली जलाने की ज्यादा घटनाएं सामने आती हैं. इस कारण इन दोनों प्रमंडलों पर विभाग की खास नजर है. उन जिलों पर भी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं जहां पराली जलाने की घटनाएं अभी इक्का दुक्का सामने आई हैं.
(आईएएनएस)