Bihar News: कैमरे पर लालू यादव भले ही कमजोर नजर आए. लेकिन हौसले बुलंद जरूर दिखे. उनके तेवर पुराने वाले नहीं थे लेकिन इरादे पक्के जरूर नजर आए.
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Patna: बिहार में साढ़े तीन साल बाद लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) की सियासी वापसी हुई है. साढ़े तीन साल बाद वो कार्यकर्ताओं और नेताओं से मुखातिब हुए. लेकिन ये वापसी लालू यादव को अंदाज में नहीं हुई. वो कैमरे पर कमजोर नजर आए. लेकिन हौसले बुलंद जरूर दिखे. उनके तेवर पुराने वाले नहीं थे लेकिन इरादे पक्के जरूर नजर आए.
हालांकि, काफी लंबे अरसे बाद एक बार फिर से लालू यादव सियासी वापसी से पार्टी RJD के कार्यकर्ताओं के बीच उम्मीद जरूर जगी हुई है. 30 मिनट तक बोले जरूर लेकिन इस दौरान वो भावुक भी हुए. तो गरजे भी खूब. जेल के दिनों को याद कर लालू यादव भावुक हो गए.
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी अगर नहीं होती तो आज वो जिंदा नहीं होते. वैसे अपने भाषण के दौरान लालू यादव के राजनीतिक तेवर भी खूब छलके. महंगाई और सामाजिक तानेबाने को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला बोला. तो जंगलराज को लेकर नीतीश को करारा जवाब दिया.
इस बार वैसे लालू यादव पुराने तेवर में नहीं थे. लेकिन उनकी इतनी ही झलक महागठबंधन को ताकत दे गई. कांग्रेस बहुत उत्साहित नजर आई. उम्मीद जताई कि उनके आने से राजनीति वातावरण बदलेगा. तो RJD खुद को दोगुना मजूबत देख रही है. लेकिन, विरोधियों को लालू यादव की सियासी वापसी रास नहीं आई. सबसे बड़ा हमला JDU के नीरज कुमार ने किया. लालू यादव की विचारधारा पर सवाल उठाए. साथ ही भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए 25 सवाल भी दागे.
बीजेपी तो लालू यादव की वापसी को तेजस्वी के कमजोर होने से जोड़ कर देख रही है. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल के मुताबिक, तेजस्वी कमजोर हो रहे हैं. इसलिए लालू यादव को वापस लाया गया है. विरोधियों ने भले लालू यादव पर हमला बोला हो. RJD को कमजोर करार दिया हो, लेकिन बिहार की सियासत में लालू यादव आज भी सबसे बड़ा नाम है. सियासत की जमीन पर सबसे ज्यादा पकड़ रखने का दम है तो वो लालू यादव के पास है. इस बात से राजनीति का कोई पंडित इनकार नहीं कर सकता चाहे वो विरोधी हो या समर्थक हो.