Bihar News: सावधान! केके पाठक के पास जा रही रिपोर्ट को हल्के में ना लें, सूची में आया नाम तो भुगतना होगा ये परिणाम
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2022503

Bihar News: सावधान! केके पाठक के पास जा रही रिपोर्ट को हल्के में ना लें, सूची में आया नाम तो भुगतना होगा ये परिणाम

बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए विभाग की कमान नीतीश कुमार ने अपने सबसे चहेते अधिकारी केके पाठक को सौंपी तो वह पूरे फॉर्म में आ गए. लगातार स्कूलों का औचक निरीक्षण करने के साथ तमाम तरह के विभागीय आदेश स्कूलों को जारी किए जाने लगे.

फाइल फोटो

Bihar News: बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए विभाग की कमान नीतीश कुमार ने अपने सबसे चहेते अधिकारी केके पाठक को सौंपी तो वह पूरे फॉर्म में आ गए. लगातार स्कूलों का औचक निरीक्षण करने के साथ तमाम तरह के विभागीय आदेश स्कूलों को जारी किए जाने लगे. जिसका नतीजा यह हुआ कि बिहार में शिक्षा के हालात तो सुधरे लेकिन शिक्षकों की परेशानियां बढ़ गईं. अब बिहार के शिक्षक दबी जुबान से ही सही केके पाठक के कई फैसलों के खिलाफ दिल में दर्द लिए बैठे हैं. शिक्षक तो यहां तक कहने लगे कि इस विभाग में वह सबसे कमजोर कड़ी हैं जिसपर उनका आदेश चलता है. शिक्षकों की मानें तो यूपी के सैकड़ों शिक्षक इन आदेश से आजिज आकर विभाग छोड़ चुके हैं. 

ये भी पढ़ें- बीजेपी में तो नहीं जाएंगे सुनील कुमार पिंटू? जेडीयू विधायक ने कर दिया दावा 
 
शिक्षकों की शिकायत है कि कई आदेश अव्यवहारिक हैं. जैसे WhatsApp से छुट्टी नहीं ले सकते हैं. धूप में बच्चों को बिठाकर पढ़ा दिया तो वेतन बंद,  WhatsApp पर आया सभी आदेश मान्य होगा. शिक्षा विभाग के किसी आदेश पर अमल नहीं किया जा सका तो सस्पेंड हो जाइए या फिर वेतन बंद कर दिया जाएगा. 

वहीं लगातार अधिकारियों के द्वारा आदेश दिया जा रहा है कि बीईओ यानी प्रखंड शिक्ष पदाधिकारी लगातार स्कूल में आए सुधार की रिपोर्ट सबमिट करें. शिक्षकों के क्लास रूम में मोबाइल इस्तेमाल की भी रिपोर्ट विभाग को देनी है. इसके लिए स्कूल से प्रधानाध्यापक से जवाब तलब किया जाएगा और उसे ही जिला शिक्षा कार्यालय को दिया जाएगा. ऐसे में शिक्षकों का सवाल है कि मोबाइल कैसे इस्तेमाल ना करें, जबकि विभाग का WhatsApp ग्रुप बना हुआ है. ऐसे में शिक्षकों के लिए मोबाइल देखना मजबूरी है. 

वहीं स्कूलों में शौचालय के साथ अन्य विकास के कार्यों को समय सीमा के अंदर पूर्ण करने की बात पर भी जोर दिया गया. अगर स्कूल में गंदगी है तो इसके लिए बीईओ और स्कूल के प्रिंसिपल जिम्मेदार होंगे. जिन स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम थी उस स्कूल के हेड मास्टर की तनख्वाह रोक दी गई. स्कूलों को हर दिन की गतिविधि का पूरा ब्यौरा पोर्टल पर डालना है. ऐसे में जो ऐसा नहीं कर पा रहें हैं वहां बेतन रोकने की कार्रवाई की जा रही है. 

ऐसे में शिक्षक इन आदेशों को लेकर सहज नहीं है.  उनको यह व्यवस्था ही व्यवहारिक नहीं लगती है. ऐसे में अधिकारियों को इन आदेशों पर पुनर्विचार करना चाहिए. शिक्षकों का कहना है कि अधिकारियों की तरफ से केके पाठक की नजर में बने रहने के लिए इस तरह के अव्यवहारिक आदेश दिए जा रहे हैं. 

Trending news