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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य दुनिया के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और दार्शनिक हैं. उन्होंने मनुष्य के जीवन को लेकर कई अहम बातें बताई है. इन बातों को मान कर मनुष्य अपने जीवन में बहुत सफलता हासिल कर सकता है. उन्होंने अपने किताब चाणक्य नीति ग्रंथ के 13वें अध्याय के 15 वें श्लोक में कुछ आदतों का जिक्र किया है. इसमें उन्होंने बताया है कि व्यक्ति को इन आदतों से हमेशा ही दूर रहना चाहिए क्योंकि इस आदतों की वजह से मनुष्य को उसके जीवन में कभी भी सुख नहीं मिलता है. उन्होंने अपनी किताब में एक श्लोक लिखा है-
अनवस्थित यस्य न जने न वने सुखम्।
जनो दहति संसर्गाद् वनं सगविवर्जनात॥
इस श्लोक का अर्थ है कि जिस मनुष्य का मन कभी स्थिर नहीं होता है वो अपने जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता है. ऐसे में अगर आप को जीवन में सफलता हासिल करनी है तो आप को सबसे पहले अपने को स्थिर करना होगा. इसके अलावा श्लोक में आगे कहा है कि ऐसा व्यक्ति भी कभी जीवन में सफलता हासिल नहीं कर पाता है, जो दूसरों की सफलता को देख कर ईषा की भावना रखता है. जलन भावना रखने वाला व्यक्ति ना तो समाज में खुश हो पाता है और ना ही उसे अकेले में ख़ुशी मिलती है.
इस श्लोक के अंत में कहा गया है कि जो व्यक्ति ये सोचता है कि कोई भी उसके साथ नहीं है और पूरी दुनिया ही उसके खिलाफ काम कर रही है. ऐसे लोगों को अपना मन शांत रखने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. ऐसे लोगों को ध्यान व योग करना चाहिए.
चाणक्य ने दिया है सफलता का मंत्र
आचार्य चाणक्य ने सफलता का मंत्र देते हुए कहा है कि व्यक्ति को इधर-उधर की बातों को ध्यान नहीं देना चाहिए. उसे अपने लक्ष्य की तरफ ही काम करना चाहिये. ऐसे करने से ही वो अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता है.