हरिहरनाथ मंदिर में 52 वर्ष से होते आ रहे हैं बाबा बर्फानी के दर्शन, एक साथ गर्भगृह में विराजते हैं शिव और विष्णु
Advertisement

हरिहरनाथ मंदिर में 52 वर्ष से होते आ रहे हैं बाबा बर्फानी के दर्शन, एक साथ गर्भगृह में विराजते हैं शिव और विष्णु

सोनपुर के हरिहर नाथ मंदिर में श्रावण माह की तीसरी सोमवारी को प्रत्येक वर्ष बाबा बर्फानी का दर्शन कराया जाता है.  52 वर्ष पूर्व 1970 में इस परंपरा की शुरुआत सोनपुर के ही रहने वाले ठाकुर अमरेंद्र नारायण सिंह उर्फ बच्चा बाबू ने की थी.

(हरिहरनाथ मंदिर)

सोनपुर  : सोनपुर के हरिहर नाथ मंदिर में श्रावण माह की तीसरी सोमवारी को प्रत्येक वर्ष बाबा बर्फानी का दर्शन कराया जाता है.  52 वर्ष पूर्व 1970 में इस परंपरा की शुरुआत सोनपुर के ही रहने वाले ठाकुर अमरेंद्र नारायण सिंह उर्फ बच्चा बाबू ने की थी. उनके मरणोपरांत उनके पुत्र सुरेश नारायण इस परंपरा को आज भी जीवित रखे हुए हैं ताकि मंदिर में आने वाले भक्तों को बाबा बर्फानी का दर्शन कराया जा सके. 

हर साल यहां स्थापित किया जाता है  4 फीट ऊंचा बर्फ का शिवलिंग
प्रत्येक वर्ष लगभग 4 फीट ऊंचा बर्फ का शिवलिंग बनाकर स्थापित किया जाता है और आरती के बाद भक्तजनों के दर्शन के लिए खोल दिया जाता है. बर्फ के शिवलिंग बनवाने वाले स्वर्गीय बच्चा बाबू के परिवार की मानें तो जो व्यक्ति अमरनाथ जाने में असमर्थ है उन्हें बाबा बर्फानी का दर्शन कराने के लिए यह परंपरा शुरू की गई थी. जो आज भी जारी है. 

हरिहरनाथ क्यों है विश्व का इकलौता मंदिर जहां एक साथ विराजते हैं शिव और विष्णु 
बता दें कि बाबा हरिहरनाथ शिवलिंग के आधे भाग में शिव (हर) और शेष में विष्णु (हरि) की आकृति है. ऐसे में यह दुनिया का इकलौता शिवलिंग है जिसमें शिव और विष्णु दोनों विराजते हैं. इन दोनों देवों को मिलाकर ही इन्हें हरिहर कहा जाता है. मान्यताओं की मानें तो स्वयं ब्रह्मा ने शैव और वैष्णव संप्रदाय को साथ लाने के लिए  इसकी स्थापना की थी. आपको बता दें कि 1757 के पहले यह मंदिर इमारती लकड़ियों और काले पत्थरों के शिला खंडों से बना हुआ था. 

यहीं हुआ था गज-ग्राह युद्ध
पौराणिक मान्यता है कि श्रीहरि ने यहीं पर गज के प्राणों की रक्षा करते हुए ग्राह का उद्धार किया था. सोनपुर में गज और ग्राह के युद्ध स्थल पर  हरि (विष्णु) और हर (शिव) का हरिहरनाथ मंदिर है. सावन माह के सोमवार के दिन यहां श्रद्धालुओं की संख्या महादेव की पूजा के लिए बढ़ जाती है तो वहीं कार्तिक में विशेष तौर पर हरिविष्णु की पूजा की जाती है. क्योंकि यहां पर भगवान विष्णु ने ग्राह का वध करके उसका उद्धार किया था और उसे मोक्ष मिला था, इसलिए श्रद्धालु इस स्थान को मोक्षद्वार भी कहते हैं. कहते हैं कि भगवान शिव के यहां के दर्शन यम को भी जीत लेते हैं.

शैव और वैष्णव दोनों ही परंपरा का मंदिर
कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण श्रीराम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया था. गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित यह प्राचीन मंदिर सभी हिन्दुओं की श्रद्धा का केंद्र है. बाद में इस मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया. अभी जो मंदिर बना है, उसकी मरम्मत राजा राम नारायण ने करवाई थी. मंदिर के अंदर गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है. इसके साथ ही भगवान विष्णु की प्रतिमा भी है. पूरे देश में इस तरह का कोई दूसरा मंदिर नहीं है जहां हरि और हर एक साथ स्थापित हों. यह स्थल शैव और वैष्णव मत के परम संयोग का भी है.

ये भी पढ़ें- Bihar News: रामसूरत राय के बयान से बिहार में सियासी हलचल, RJD ने दी डाली ये नसीहत

Trending news