'बिहार का शिक्षा विभाग शैक्षणिक माहौल नष्ट करने पर तुला, वह सुधार के उठाए कदम उठाए'
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'बिहार का शिक्षा विभाग शैक्षणिक माहौल नष्ट करने पर तुला, वह सुधार के उठाए कदम उठाए'

बिहार के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर राजभवन ने शिक्षा विभाग के हाल के असंवैधानिक और निरंकुश आदेशों के खिलाफ तत्काल सुधारात्मक उपाय करने को कहा है.

 (फाइल फोटो)

Patna: बिहार के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर राजभवन ने शिक्षा विभाग के हाल के असंवैधानिक और निरंकुश आदेशों के खिलाफ तत्काल सुधारात्मक उपाय करने को कहा है. छब्बीस दिसंबर को लिखे गये इस पत्र के अनुसार राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने विचार व्यक्त किया है कि ऐसा लगता है कि विभाग इस तरह के आदेश जारी करके राज्य में शैक्षणिक माहौल को नष्ट करने पर तुला है. 

राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू द्वारा मुख्य सचिव अमीर सुबहानी को लिखे गये इस पत्र के अनुसार राज्यपाल को बिहार विधानपरिषद के 25 सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल की ओर से विभाग के खिलाफ एक लिखित शिकायत प्राप्त हुई है. राज्यपाल राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं. चोंगथु ने अपने पत्र में कहा है, मुझे यह बताने का निर्देश दिया गया है कि विधानपरिषद के 25 सदस्यों (एमएलसी) के एक प्रतिनिधिमंडल ने गत 19 दिसंबर को राज्यपाल से मुलाकात की और एक संयुक्त ज्ञापन सौंपा. 

परिषद के सदस्यों ने सर्वसम्मति से राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा हाल में जारी किए गए कुछ पत्रों की निंदा की और विरोध व्यक्त किया क्योंकि वे इन आदेशों को असंवैधानिक, निरंकुश और साथ ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 194 के तहत उन्हें दिए गए विशेषाधिकारों का उल्लंघन मानते हैं. पत्र में उन्होंने कहा है, ऐसे में, प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से शिक्षा विभाग के आदेशों को रद्द करने के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की अपील की है. 

राज्यपाल ने इन मुद्दों पर विचार किया है और कहा है कि इस तरह के कृत्यों से ऐसा लगता है कि शिक्षा विभाग राज्य में शैक्षणिक माहौल को नष्ट करने पर आमादा है इसलिए उन्होंने मुझे आपसे तुरंत सुधारात्मक उपाय करने का अनुरोध करने का निर्देश दिया है. विधानपरिषद के सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने 19 दिसंबर को राज्यपाल से मुलाकात की और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक को हटाने की मांग की थी. 

प्रतिनिधिमंडल ने बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधानों और अध्यादेशों के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्यपाल को एक पत्र सौंपा था. पत्र में अधिकारियों द्वारा विश्वविद्यालय के शिक्षकों के वेतन/पेंशन को रोकने और आउटसोर्सिंग प्रणाली के तहत कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षकों की नियुक्ति जैसे मुद्दों को उठाया गया है. प्रतिनिधिमंडल में भाकपा के संजय कुमार सिंह शामिल थे जिनकी पेंशन हाल ही में शिक्षा विभाग ने अपने निर्देशों के खिलाफ कथित रूप से बोलने के कारण रोक दी थी. 

संजय सिंह ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बातचीत के दौरान आरोप लगाया था, उनकी (पाठक की) तानाशाही प्रवृत्ति से शिक्षकों और छात्रों का शोषण हो रहा है और इससे विभाग में आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो गई है. शिक्षा विभाग ने हाल में सेवारत अध्यापकों के वेतन तथा फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ऑफ बिहार (एफटीएबी) के महासचिव संजय कुमार के वेतन को रोकने के आदेश जारी किया था. 

संजय कुमार विधान परिषद सदस्य भी हैं. आदेश में कहा गया था कि कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षक भी अनिवार्य रूप से प्रत्येक दिन पांच कक्षाएं लें और तीन दिनों से अधिक अनुपस्थित रहने वाले छात्रों के नाम काट दिए जाएं . बिहार शिक्षा विभाग के आदेश, जिसमें स्कूलों और कॉलेजों के शिक्षकों को सार्वजनिक रूप से कार्यालय के आदेशों के खिलाफ अपनी शिकायतें व्यक्त करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है थी, पर शिक्षक निकायों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर इस मुद्दे पर अपनी टिप्पणी देने के लिए बार-बार प्रयास के बावजूद उपलब्ध नहीं हो सके. 

(इनपुट भाषा के साथ)

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