जानिए किस शास्त्र में चेहरा पढ़ने और फ्रेनोलॉजी का है मंत्र! हिंदू धर्म से ये है संबंध
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जानिए किस शास्त्र में चेहरा पढ़ने और फ्रेनोलॉजी का है मंत्र! हिंदू धर्म से ये है संबंध

हिंदू धर्म में अपनों शास्त्रों का अलग महत्व है. इन्हीं शास्त्रों में से एक सामुद्रिक शास्त्र है. जो वैदिक परंपरा का हिस्सा है. इसमें चेहरे को पढ़ने और पूरे शरीर के विश्लेषण को पढ़ने के बारे में पूरे विस्तार से बताया गया है. सबसे पहले जानते हैं कि सामुद्रिक शास्त्र शब्द के बारे में आखिर ये शब्द किस भाषा से है.

किस शास्त्र में चेहरा पढ़ने और फ्रेनोलॉजी का है मंत्र!

Palmist Shastra : इंसान अपने भविष्य का जानने के लिए बहुत उत्सुक रहता है. वह इस जानने के लिए ज्योतिष के पास भी जाता है. अपने हाथ की रेखाएं दिखाता है और अपना वर्तमान से लेकर पास्ट और भविष्य सब जानने की कोशिश करता है. इतना ही नहीं इंसान का चेहरा पढ़कर उसका विश्लेषण किया जाता है. खैर, ये सारी बातें तो हर कोई जानता होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि इंसान का चेहरा पढ़ने की एक विधि है, जो शास्त्र में बताई गई है. आज हम उसी शास्त्र के बारे में बात करेंगे, जो आपके लिए बेहद उपयोगी है. जिसका संबंध हिंदू धर्म से है. चलिए आपको बताते हैं वह कौन सा शास्त्र है और कौन सी विधि. 

सामुद्रिक शास्त्र वैदिक परंपरा का हिस्सा

हिंदू धर्म में अपनों शास्त्रों का अलग महत्व है. इन्हीं शास्त्रों में से एक सामुद्रिक शास्त्र है. जो वैदिक परंपरा का हिस्सा है. इसमें चेहरे को पढ़ने और पूरे शरीर के विश्लेषण को पढ़ने के बारे में पूरे विस्तार से बताया गया है. सबसे पहले जानते हैं कि सामुद्रिक शास्त्र शब्द के बारे में आखिर ये शब्द किस भाषा से है. दरअसल,  समुद्रिक शास्त्र एक संस्कृत शब्द है, जिसका ट्रंसलेशन शरीर की विशेषताओं के बारे में किया जाता है.

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ज्योतिष और हस्तरेखा समुद्रीका शास्त्र से जुड़ा

समुद्रिक शास्त्र को अक्सर वैदिक ज्योतिष में इस्तेमाल किया जाता है. ये ज्योतिष और हस्तरेखा समुद्रीका शास्त्र से जुड़ा होता है. साथ ही फ्रेनोलॉजी यानी कपाल समुद्री और चेहरा पढ़ने मुख समुद्री से संबंधित है. इसका जिक्र गरुड़ पुराण में भी है. अब चलिए इसका नाम कैसे पड़ा इसके बारे में भी जान लीजिए. सामुद्रिक शास्त्र का नामकरण समुद्र ऋषि के प्रचार करने की वजह से किया गया था. 

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सटीक भविष्यवाणी

मान्यता है कि समुद्र ऋषि का भविष्यवाणी इतनी सटीक निकलती थी की उनके बाद विद्वानों में समुद्र के वचन की साक्षी दी जाने लगी. चेहरे पढ़ने की विधि के लिए ज्योतिष के ग्रंथों में श्लोकों के अंत में अपनी बात पर जोर देने के लिए समुद्रस्य वचनं यथा जैसे शब्द यूज होते हैं. यह प्राचीन हिंदू पाठ में शामिल विषयों में से एक है.

डिस्क्लेमर : ये जानकारी विकिपीडिया से ली गई है. जिसके अनुसार, ऐसा जिक्र समुद्रिक शास्त्र में मिलता है.  

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