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वैशाली: वैशाली जिले के जंदाहा प्रखंड (पातेपुर विधानसभा) में स्थित बरैला झील (पक्षी विहार)में प्रवासी पक्षियों को जमकर शिकार किया जा रहा हैं. वैशाली जिले के बरैला झीलकी सुंदरता हर साल इन्हें खींचकर यहां लाती है, लेकिन शिकारी इन पक्षियों के लिए जाल बिछाए का इंतजार करते हैं. वन विभाग की टीम भी लगातार कोशिश कर रही है, इन पक्षियों का शिकार ना हो सके. इसके लिए वो लगातार झील की निगरानी भी कर रहे हैं.
बेबसी के आंसू बहा रही है ऐतिहासिक बरैला झील
जल-जीवन हरियाली अभियान चलाने वाली सरकार के राज में एक ऐतिहासिक झील अपनी बेबसी पर आंसू बहा रही हैं. ये ऐतिहासिक झील अपने खोते हुए अस्तित्व को बचाने को लेकर बेबस निगाहों से देख रही हैं. आपकों बता दें कि यह झील 474 एकड़ में फैली है। झील में हर तरफ नरकट घास का झुरमुट है. नरकट के कारण जलीय जीवों संकट में है. नरकट घास के कारण झील के सुंदरता पर ग्रहण लग गया है. कभी इस झील (पक्षी विहार) को देखने हजारों की संख्या में पर्यटक आते थे. नरकट घास के झुरमुट ने इसे ढक लिया है. लेकिन आज यहां सन्नाटा पसरा हुआ है.
इसके अलावा यह झील प्रवासी पक्षियों का बसेरा है. विदेशों से प्रवासी पक्षियों यहां आते हैं. इस पक्षी विहार में पक्षियों के शिकार के लिए प्रतिबंधित किया गया है. फिर भी शिकारी प्रवासी पक्षियों के शिकार के लिए झील में जाल लगाते हैं और ऊंची कीमतों पर पक्षियों को बेचते हैं. बरैला झील के भरोसे आसपास के 100 से अधिक गांवों हैं. इस झील को 1997 में पक्षी विहार घोषित किया गया था. पैराणिक मान्यता है कि भगवान श्री राम जनकपुर जाने के दौरान इस जगह के प्रकृतिक सौंदर्यता को देखकर कुछ देर के लिए यहां रुके थे. कहा जाता है कि लोगों ने भगवान राम का स्वागत करते हुए कहा था "वर अइलअ" यानी वर आए हैं, इसी कारण इसे बरैला कहते हैं.