कैंसर से पीड़ित मां की देखभाल के लिए ड्यूटी से था CRPF जवान गैरहाजिर, अब HC ने सुनाया ये फैसला
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कैंसर से पीड़ित मां की देखभाल के लिए ड्यूटी से था CRPF जवान गैरहाजिर, अब HC ने सुनाया ये फैसला

Bihar News: पटना कोर्ट ने सिपाही पर बर्खास्त किये जाने के बजाए जुर्माना लगाने का आदेश दिया. साथ ही तीन महीने की अवधि के भीतर आदेश का पालन करने को भी कहा. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने इस फैसले को बरकरार रखा था, जिसके बाद कुमार ने खंड पीठ के समक्ष फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी. कोर्ट ने कहा कि कई मौकों पर अपीलकर्ता ने डाक के माध्यम से छुट्टियों के विस्तार की मांग की

पटना हाईकोर्ट (File Photo)

Patna High Court: पटना हाई कोर्ट ने कैंसर से पीड़ित अपनी मां की देखभाल के लिए 196 दिनों तक ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के कारण सेवा से बर्खास्त किए गए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के एक कर्मी को बहाल करने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति पी.बी. बजंथरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार पांडे की पीठ ने मंगलवार को सीआरपीएफ के बर्खास्त सिपाही सुमित कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि संबंधित प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे अपीलकर्ता की सेवा को बहाल करें और कानून के अनुसार सेवाओं को विनियमित करें.

कोर्ट ने सिपाही पर बर्खास्त किये जाने के बजाए जुर्माना लगाने का आदेश दिया. साथ ही तीन महीने की अवधि के भीतर आदेश का पालन करने को भी कहा. कोर्ट ने कहा कि कई मौकों पर अपीलकर्ता ने डाक के माध्यम से छुट्टियों के विस्तार की मांग की, लेकिन उसे 196 दिनों की अवधि के लिए बिना किसी स्वीकृत छुट्टी के ड्यूटी से अनुपस्थित रहने (23 मई 2012 से चार दिसंबर 2012) के कारण भगोड़ा घोषित कर दिया गया और अपीलकर्ता की ड्यूटी से अनधिकृत अनुपस्थिति के कारण विभागीय जांच शुरू हुई. विभागीय जांच ने आलोक कुमार को सेवा से बर्खास्त कर दिया. 

हाई कोर्ट की एकल पीठ ने इस फैसले को बरकरार रखा था, जिसके बाद कुमार ने खंड पीठ के समक्ष फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी. पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले में, अपीलकर्ता को ड्यूटी से अनुपस्थित पाया गया और उसने स्पष्टीकरण दिया कि उसकी मां को कैंसर हो गया था और उसने अपनी मां के इलाज के लिए छुट्टी के लिए आवेदन किया था और यह उसके नियंत्रण से बाहर था. 

पीठ ने आदेश में कहा कि हमें मामले के दिए गए तथ्यों और परिस्थितियों में अपीलकर्ता के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना होगा कि अपीलकर्ता के पास नियुक्ति स्थान छोड़ने का कारण है. कोर्ट ने एकल पीठ द्वारा एक अप्रैल 2019 को पारित किये गये आदेश को रद्द कर दिया साथ ही उसकी बर्खास्तगी के आदेश को भी निरस्त कर दिया. 

इनपुट: भाषा

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