बक्सर के ऐतिहासिक पंचकोशी यात्रा शुरू, पहले पड़ाव में अहिल्या धाम पंहुचा श्रद्धालुओ का जत्था
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बक्सर के ऐतिहासिक पंचकोशी यात्रा शुरू, पहले पड़ाव में अहिल्या धाम पंहुचा श्रद्धालुओ का जत्था

Bihar News: बक्सर के ऐतिहासिक पंचकोशी मेले की शुरुआत रविवार से हो गई है. पंचकोशी के पहले पड़ाव में बक्सर के अहिरौली से मेले की शुरुआत हुई. इस मौके पर दूर दराज से आए हजारों श्रद्धालुओं ने माता अहिल्या के मंदिर में पूजा अर्चना की.

बक्सर के ऐतिहासिक पंचकोशी यात्रा शुरू, पहले पड़ाव में अहिल्या धाम पंहुचा श्रद्धालुओ का जत्था

बक्सर:Bihar News: बक्सर के ऐतिहासिक पंचकोशी मेले की शुरुआत रविवार से हो गई है. पंचकोशी के पहले पड़ाव में बक्सर के अहिरौली से मेले की शुरुआत हुई. इस मौके पर दूर दराज से आए हजारों श्रद्धालुओं ने माता अहिल्या के मंदिर में पूजा अर्चना की. इस दिन अहिरौली पहुंचे महिला श्रद्धालु माता अहिल्या के मंदिर में दीप जलाती है और सुख समृद्धि की कामना करती है. अहिरौली में स्थित माता अहिल्या का मंदिर काफी प्राचीन है और यही गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बनी अहिल्या को भगवान श्रीराम के चरण स्पर्श से मुक्ति मिली थी. लिहाजा यहां पहुंचने वाले भक्त माता अहिल्या के मंदिर में पूजा पाठ करते है. 

अहिल्या धाम पंहुचा श्रद्धालुओ का जत्था
बक्सर के अहिरौली स्थित अहिल्या माता के इस मंदिर की एक खास पहचान है. यह पहचान यहां आने वाले श्रद्धालुओं के आस्था से जुड़ी है जिसका नाम है आंचल डांस. जिस किसी दंपत्ति को संतान की चाह होती है वह यहां आकर माता से गुहार लगाती हैं कि यदि उन्हें संतान की प्राप्ति हुई तो वह अपनी संतान के साथ अहिल्या माता के दरबार में आंचल डांस करेंगी. इससे उनके संतान को दीर्घायु होने और स्वस्थ रहने का वरदान मिलता है. इन्हीं मान्यताओं के साथ सदियों से अहिल्या माता के स्थान पर आंचल डांस की परंपरा आज भी कायम है.

आखिरी दिन लिट्टी चोखा बनाया जाता है
दरअसल प्राचीन काल से ही ऐसी मान्यता है की जब भगवान श्री राम बक्सर पहुंचे थे, तब पांच जगहों पर गए थे और उन्होंने तरह-तरह के पकवान और स्वादिष्ट भोजन किया था. लिहाजा प्रसाद के रूप में पहले दिन और पहले पड़ाव अहिरौली में पुआ बनता है और लोग उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है. 13 नवंबर से शुरू होकर 17 नवंबर तक चलने वाले पंचकोशी मेले के आखिरी दिन लिट्टी चोखा बनाया जाता है और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. इस दिन देश भर से बक्सर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है. बक्सर के पावन धरती और यहां से भगवान श्रीराम का ऐसा नाता रहा है जिसकी चर्चा प्राचीन ग्रंथों में भी देखने को मिलता है. पंचकोशी परिक्रमा के अवसर पर बक्सर में देश भर के साधु संतों का जुटान होता है जो आभास करता है कि बक्सर देव नगरी से कम नही है.

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सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम 
5 दिनों तक चलने वाले इस पंचकोशी यात्रा के दौरान सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. पंचकोशी के पांचों पड़ाव पर मेले का भी आयोजन किया जाता है लिहाजा उसकी सुरक्षा को लेकर भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई है. बक्सर एसपी नीरज कुमार सिंह के मुताबिक सुरक्षा के लिहाज से काफी पुख्ता इंतजाम किया गया है ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो. गौरतलब है कि बक्सर का पंचकोशी मेला काफी ऐतिहासिक मेला है और सदियों से लोग यहां पहुंचते रहे हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि पड़ाव के अंतिम दिन बक्सर में गंगा स्नान और लिट्टी चोखा का प्रसाद ग्रहण करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे. जिनकी सुरक्षा का जिम्मा पूरी तरह से प्रशासन के ऊपर है.

इनपुट- रवि मिश्रा

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