Independence Day 2023: आजादी से पहले ये राज्य भारत में नहीं थे शामिल, जानें कैसे हुआ इनका हिंदुस्तान में विलय
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Independence Day 2023: आजादी से पहले ये राज्य भारत में नहीं थे शामिल, जानें कैसे हुआ इनका हिंदुस्तान में विलय

Independence Day 2023: पूरा देश इस साल अपनी आजादी की 77वीं वर्षगांठ बड़े ही धूम धाम से मना रहा है.

Independence Day 2023: आजादी से पहले ये राज्य भारत में नहीं थे शामिल, जानें कैसे हुआ इनका हिंदुस्तान में विलय

पटना: Independence Day 2023: पूरा देश इस साल अपनी आजादी की 77वीं वर्षगांठ बड़े ही धूम धाम से मना रहा है. इसका मतलब ये है कि हमारे देश को आजाद हुए 76 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन क्या आपको पता है कि 76 साल पहले जब देश आजाद हुआ था तो उस समय कुछ ऐसे भी राज्य थे जिन्होंने भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया था. भारत का मानचित्र अभी जैसा दिखता है वैसाआज से 76 साल पहले ऐसा बिल्कुल नहीं था.

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के अंतर्गत हिंदुस्तान के बंटवारा होने के बाद दो स्वतंत्र एवं पृथक प्रभुत्व वाले देश भारत और पाकिस्तान अस्तित्व में आए. ऐसे में देश की रियासतों के सामने तीन विकल्प रखे गये थे-

भारत में शामिल होना

पाकिस्तान में हो जाना

या तो स्वतंत्र रहना

आजादी के समय भारत 500 से भी ज्यादा रियासतों में बंटा हुआ था. ये सभी रियासतें स्वतंत्र शासन करने में यकीन रखती थीं जो सशक्त भारत के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आई थी. जिसके बाद हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर रियासत को छोड़कर सभी रियासतों ने अपने मन से भारतीय परिसंघ में शामिल हो गए थे. एक ओर जूनागढ़़ ने जहां पाकिस्तान में शामिल होने की घोषणा कर दी थी वहीं दूसरी तरफ कश्मीर ने स्वतंत्र बने रहने की इच्छा व्यक्त की थी. हालांकि भोपाल की रियासत भी उस समय भारत में शामिल नहीं होना चाह रही थी लेकिन बाद में वो भी भारत में शामिल हो गया.

हैदराबाद रियासत

हैदराबाद पर उस निजाम का शासन हुआ करता था, जो आजादी मिलने के बाद भारत या पाकिस्तान में शामिल न होकर स्वतंत्र रहना चाहता था. जिसके बाद भारत सरकार ने निजाम से हैदराबाद को भारत में शामिल करने का आग्रह किया, लेकिन तब उन्होंने इनकार कर दिया. भारत सरकार ने तब इस असफल वार्ता के बाद 1948 में "ऑपरेशन पोलो" नामक एक सैन्य अभियान शुरू करके हैदराबाद पर बलपूर्वक कब्जा कर लिया.

जूनागढ़ रियासत

जूनागढ़ मौजूदा गुजरात में स्थित एक रियासत थी. देश जब आजाद हुआ तब जूनागढ़ के नवाब एक मुस्लिम थे.  जूनागढ़ में बहुसंख्यक आबादी हिंदू होने के बावजूद नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला किया. जिसके बाद इस फैसल के विरोध में आंदोलन होने लगा. जिसका परिणाम ये निकला कि भारत सरकार ने फरवरी 1948 में जनमत संग्रह का आयोजन किया. जूनागढ़ के लोगों ने इस जनमत संग्रह में भारत में विलय होने का फैसला किया. जिसके बाद यह भारत का हिस्सा बन गया.

जम्मू और कश्मीर रियासत

आजादी के समय जम्मू और कश्मीर भी रियासत पर महाराजा हरि सिंह का शासन था. जिस समय विलय की बात हो रही थी महाराजा हरि सिंह अपने राज्य के भविष्य को लेकर अनिश्चित थे. हालांकि पाकिस्तान के कबाइली लड़ाकों ने 1947 में जब कश्मीर पर आक्रमण किया, तो उस समय भारत से उन्होंने सहायता मांगी. विलय पत्र पर हस्ताक्षर के बाद जम्मू और कश्मीर को उस समय एक विशेष दर्जा दिया गया. हालांकि, पाकिस्तान समर्थित लोगों के आक्रमण के बाद यह भारत में शामिल हो गया और जम्मू और कश्मीर आज तक भारत के लिए एक विवादित क्षेत्र बना हुआ है.

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