सिर्फ मौसम विभाग ही नहीं ज्योतिष भी देता है मानसून की सूचना, जानते हैं कैसे?
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सिर्फ मौसम विभाग ही नहीं ज्योतिष भी देता है मानसून की सूचना, जानते हैं कैसे?

ये तो सबको पता है कि मौसम विभाग की तरफ से साल भर के मौसम का हाल बताया जाता है. जैसे इस बार अमुख जगह पर गर्मी कितनी पड़ेगी, सर्दी का क्या हाल रहेगा, मानसून कब आ रही है, पूरे देश में कितनी बारिश कहां दर्ज की जाएगी.

(फाइल फोटो)

Monsoon forecast: ये तो सबको पता है कि मौसम विभाग की तरफ से साल भर के मौसम का हाल बताया जाता है. जैसे इस बार अमुख जगह पर गर्मी कितनी पड़ेगी, सर्दी का क्या हाल रहेगा, मानसून कब आ रही है, पूरे देश में कितनी बारिश कहां दर्ज की जाएगी. इस सब से अलग क्या आपको पता है कि ज्योतिष शास्त्र भी इस बात की गणना कर बताता है कि कब बारिश आएगी और मानसून का हाल कैसा रहेगा, कहीं इस बार सुखाड़ की स्थिति तो नहीं बन रही है या फिर अत्यधिक बारिश से आनेवाली बाढ़ से जानमाल का नुकसान तो नहीं होगा. क्या ज्यादा बारिश की वजह से महामारी की स्थिति तो नहीं बनेगी. ऐसे कई सवालों के जवाब ज्योतिष विज्ञान के पास भी है. 

बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में बारिश की गणना या कहें तो मानसून के आने की गणना ग्रहों के योग, दृष्टि आदि को ध्यान में रखर किया जाता है. ज्योतिष में माना गया है कि अगर शुक्र और बुध दोनों ग्रह एक राशि में स्थित हों और उनपर गुरु ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो तो अच्छी बारिश की संभावना होती है. इसके साथ ही मंगल और शनि जैसे ग्रहों की दृष्टि अगर पड़ती है तो अति वृष्टि का योग बनता है.

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ऐसे में आपको बता दें कि कुल 27 नक्षत्र ज्योतिष शास्त्र में गणना के लिए हैं जिसमें से 8 नक्षत्र वर्षा के माने जाते हैं. इसी में ग्रहों की स्थिति के अनुसार इस सारी चीजों की गणना की जाती है. जैसे आद्रा नक्षत्र, भद्रा नश्रत्र, हथिया नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र के अलावा अश्लेषा, उत्तरा, भाद्रपद, पुष्य शतभिषा, पूर्वाषाणा और मूल नक्षत्र को बारिश का नक्षत्र माना गया है. अब ऐसे में नौतपा खत्म होने पर ज्योतिष अच्छी बारिश का अनुमान लगाते हैं. आपको बता दें कि सूर्य पर मौसम के बदलने और बारिश के होने का असर सबसे ज्यादा होता है. ऐसे में सूर्य के गोचर पर यह खासा निर्भर करता है. वैसे बता दें कि इस साल ज्योतिष की मानें तो मानसीन तो 22 जून से ही सक्रिय हो जाएगा लेकिन मूसलाधार बारिश की शुरुआत 6 जुलाई से होगी. सके पीछे सूर्य का गोचर पुनर्वसु नक्षत्र में होना और इससे बनने वाला स्त्री-पुरूष योग होगा. 

सूर्य जब 22 जून को आद्रा नक्षत्र में गोचर करेंगे तभी से मानसून की शुरुआत मानी जा रही है. हालांकि ज्योतिष बताते हैं कि इस बार इस नक्षत्र में स्त्री-स्त्री योग बन रहा है जिसकी ऐसे में बारिश तो होगी लेकिन कम होगी लेकिन 6 जुलाई को जैसे ही सूर्य पुनर्वसु नक्षत्र में गोचर करेंगे स्त्री-पुरूष योग बनेगा जिसके बाद मानसून के प्रभावी होने की उम्मीद है. वहीं इससे ठीक दो दिन पहले यानी 4 जुलाई को सावन महीने की भी शुरुआत हो रही है. 

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