Mata Katyayani Story: जानिए क्या है माता कात्यायनी की दिव्य कथा, ऐसे हुई उत्तपत्ति
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1375010

Mata Katyayani Story: जानिए क्या है माता कात्यायनी की दिव्य कथा, ऐसे हुई उत्तपत्ति

Mata Katyayani Story: मां कात्यायनी की पूजा से धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसे लेकर स्कंद पुराण में कहा गया है कि देवी के कात्यायनी रूप की उत्पत्ति परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से हुई थी. 

Mata Katyayani Story: जानिए क्या है माता कात्यायनी की दिव्य कथा, ऐसे हुई उत्तपत्ति

पटनाः Mata Katyayani Story: शारदीय नवरात्र के छठवें दिन देवी कात्यायनी की पूजा का विधान है. कात्यायनी माता दुर्गा देवी के नौ रूपों में छठे स्वरूप के रूप में पूज्य हैं. माता ने यह रूप अपने भक्त ऋषि कात्यायन के लिए धारण किया था. देवी भागवत पुराण में ऐसी कथा मिलती है कि, ऋषि कात्यायन मां आदिशक्ति के परम भक्त थे. इनकी इच्छा थी कि देवी उनकी पुत्री के रूप में उनके घर पधारें. इसके लिए ऋषि कात्यायन ने वर्षों कठोर तपस्या की.

देवताओं के क्रोध से हुई उत्पत्ति
मां कात्यायनी की पूजा से धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसे लेकर स्कंद पुराण में कहा गया है कि देवी के कात्यायनी रूप की उत्पत्ति परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से हुई थी. वामन पुराण के अनुसार सभी देवताओं ने अपनी ऊर्जा को बाहर निकालकर कात्यायन ऋषि के आश्रम में इकट्ठा किया और कात्यायन ऋषि ने उस शक्तिपूंज को एक देवी का रूप दिया. जो देवी पार्वती द्वारा दिए गए सिंह (शेर) पर विराजमान थी. कात्यायन ऋषि ने रूप दिया इसलिए वो दिन कात्यायनी कहलाईं और उन्होंने ही महिषासुर का वध किया.

ऐसा है माता कात्यायनी का रूप
माँ कात्यायनी शेर की सवारी करती हैं. इनकी चार भुजाएँ हैं, बाएँ दो हाथों में कमल और तलवार है, जबकि दाहिने दो हाथों से वरद एवं अभय मुद्रा धारण की हुईं हैं. देवी लाल वस्त्र में सुशोभित हो रही हैं. ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है. योग साधना में इस आज्ञा चक्र का महत्वपूर्ण स्थान है. इस चक्र में स्थित मन वाला साधक माँ कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है. परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्त को सहज भाव से माँ कात्यायनी के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं. माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं,इनका स्वरुप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है. भगवान कृष्ण को पाने के लिए व्रज की गोपियों ने इन्ही की पूजा कालिंदी नदी के तट पर की थी.

ये भी पढ़ें- Navratri Shasthi Devi: आज छठवें दिन करें देवी कात्यायनी का ध्यान, जानिए मां का रहस्य

Trending news