'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अगर बिहार के दायित्वों का निर्वहन नहीं करना है, उन्हें केवल विपक्षी एकता करनी है तो बिहार का दायित्व वो किसी और को दे दें. यह विपक्षी एकता नहीं है, यह पक्षी की एकता है. एक बैठता है तो दूसरा उड़ जाता है. नीतीश कुमार कबूतर की भूमिका निभा रहे हैं.
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'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अगर बिहार के दायित्वों का निर्वहन नहीं करना है, उन्हें केवल विपक्षी एकता करनी है तो बिहार का दायित्व वो किसी और को दे दें. यह विपक्षी एकता नहीं है, यह पक्षी की एकता है. एक बैठता है तो दूसरा उड़ जाता है. नीतीश कुमार कबूतर की भूमिका निभा रहे हैं. कभी इस डाल पर तो कभी उस डाल पर. नीतीश कुमार ने हाल में विपक्षी एकता के नाम पर जिन नेताओं से मुलाकात की, उस दौरान उनका बाॅडी लैंग्वेज कैसा था. अभी इनकी पार्टी में ही दिक्कतें शुरू हो गई हैं. विपक्षी एकता ये क्या करेंगे.' लोजपा रामविलास के प्रवक्ता धीरेंद्र कुमार ने रविवार को ये बातें कहीं.
2022 में एनडीए से नाता तोड़ने और महागठबंधन का दामन थामने वाले सीएम नीतीश कुमार अभी विपक्षी एकता की मुहिम चला रहे हैं और वे लगातार विपक्षी दलों के बड़े नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. अब तक वे राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममजा बनर्जी, अखिलेश यादव, नवीन पटनायक, उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मिल चुके हैं. इनमें नवीन पटनायक ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है और विपक्षी एकता से किनारा कर लिया है. इसी बात को लेकर लोजपा रामविलास के प्रवक्ता का कहना है कि नीतीश कुमार कबूतर की भूमिका में हैं.
लोजपा रामविलास के प्रवक्ता के इस बयान पर जेडीयू की ओर से राजीव रंजन ने पलटवार करते हुए कहा, देश में जब हालात असामान्य हों तो फिर सभी को खासकर बीजेपी विरोधी दलों को मिलकर लड़ना होगा. अब 2024 में बीजेपी के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है. जिस तरह से कर्नाटक का चुनाव कांग्रेस के पक्ष में गया है, उससे धर्म आधारित राजनीति को खारिज करने का संकेत मिलता है.
कर्नाटक की जीत को जेडीयू विपक्षी एकता के लिए संजीवनी मानकर चल रही है. इसलिए जेडीयू नेता अभी से बोल रहे हैं- अभी तो यह शुरुआत है. अगर सभी विपक्षी दल एक साथ आ गए तो 2024 में बीजेपी की हार तय है.