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New Pension Scheme: ओल्ड पेंशन योजना को लागू करने को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार कर्मचारी संघों के द्वारा दबाव बढ़ाया जा रहा है. आपको बता दें कि कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की घोषणा कर दी गई है. जबकि आंध्र प्रदेश जैसे राज्य में नई पेंशन स्कीम को ही अट्रैक्टिव बनाया गया है ताकि कर्मचारियों को इसके तहत ही बेहतर लाभ मिल सके. चूकि पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों की तरफ से अंशदान नहीं दिया जाता था और पेंशन के खर्चे का पूरा वहन सरकार को ही करना पड़ता था. जिसकी वजह से सरकार पर अतिरिक्त वित्त बोझ पड़ता था. जबकि नई पेंशन योजना के तहत सरकार और कर्मचारी दोनों की तरफ से अंशदान दिया जाता है. फिर इस पैसे को बाजार में लगाया जाता है और उसके हिसाब से कर्मचारी के रिटायरमेंट के समय बाजार की जो स्थिति होती है उसके हिसाब से पेंशन का निर्धारण किया जाता है.
इसी को लेकर कर्मचारी संगठन लगातार सरकार के नई पेंशन योजना का विरोध कर रहे हैं. क्योंकि कर्मचारियों को लगता है कि जिस तरह से हर कर्मचारी के सेवानिवृति के समय की वजह से उनका पेंशन अलग-अलग होता है, इसको खत्म कर पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करना चाहिए. जिसमें कर्मचारी के अंतिम वेतन के 50 प्रतिशत के हिसाब से उसका पेंशन शुरू कर दिया जाता है.
ऐसे में केंद्र सरकार जनवरी 2014 से लागू नई पेंशन व्यवस्था को और ज्यादा बेहतर बनाने पर जोर दे रही है ताकि इसका अतिरिक्त बोझ सरकार पर भी ना पड़े और साथ ही सेवानिवृत कर्मचारियों को भी सेवानिवृति के बाद इतना पेंशन मिल सके कि उसका गुजारा आसानी से हो सके. नई पेंशन योजना में पेंशन के रकम की गारंटी नहीं होने के कारण यह सरकार के लिए गले की फांस बन गया है. ऐसे में वित्त मंत्रालय की एक कमेटी नई पेंशन स्कीम में सुधारों को लेकर गठित की गई है. बता दें कि यह कमेटी वित्त सचिव की अध्यक्षता में गठित हुई है.
अब बता दें कि पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) की ओर मिनिमम सुनिश्चित रिटर्न देने के लिए पेंशन स्कीम पर काम किया जा रहा है. ऐसे में पीएफआरडीए की तरफ से नई पेंशन योजना में सुधार को लेकर काफी तेजी से काम किया जा रहा है और केंद्र सरकार नए सुधार का ऐलान जल्द कर सकती है. हालांकि यह बदलाव नए पेंशन स्कीम में ही होना है ऐसे में यह अनुमान है कि एक निश्चित रिटर्न गारंटी तो इसमें होगी लेकिन अंशदान का प्रवधान समाप्त नहीं किया जाएगा ताकि सरकार पर वित्त का अतिरिक्त बोझ ना पड़े. वहीं सरकार को इस निश्चित रिटर्न के लिए भी ज्यादा पैसा भरना होगा लेकिन वह पुरानी पेंशन स्कीम की तरह वित्त का लंबा चौड़ा बोझ नहीं डालेगा क्योंकि इसमें अंशदान की व्यवस्था रहेगी.