Old Pension Scheme: बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड ने जैसे ही इस योजना को लागू करने का फैसला लिया. बिहार की सियासत तक भी इसकी ताप पहुंच गई. बिहार में महागठबंधन की सरकार है और तेजस्वी यादव अपने चुनावी रैलियों के साथ पार्टी के घोषणा पत्र में साफ दर्शा चुके थे कि सरकार उनकी पार्टी की बनी तो बिहार के कर्मचारियों को भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा.
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पटना : Old Pension Scheme: एक तरफ केंद्र सरकार ने कुछ शर्तों के साथ केंद्रीय कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने का फैसला लिया है तो वहीं दूसरी तरफ देशभर के 5 राज्यों ने फिर से पुरानी पेंशन योजना को अपने प्रदेश में लागू करने की घोषणा कर दी है. इनमें झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और पंजाब शामिल है. बिहार में भी इस योजना को लागू करने को लेकर खूब बयानबाजी हो रही थी जो अब और बढ़ गई है.
दरअसल बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड ने जैसे ही इस योजना को लागू करने का फैसला लिया. बिहार की सियासत तक भी इसकी ताप पहुंच गई. बिहार में महागठबंधन की सरकार है और तेजस्वी यादव अपने चुनावी रैलियों के साथ पार्टी के घोषणा पत्र में साफ दर्शा चुके थे कि सरकार उनकी पार्टी की बनी तो बिहार के कर्मचारियों को भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा. अब पेंच इस मामले में और फंसता चला गया जब बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा कर दी. अब बिहार के कर्मचारी भी तेजस्वी यादव को उनका किया वादा याद दिलाने पर उतारू हो गए हैं.
हालांकि जब तक तेजस्वी विपक्ष में थे सरकार से इसको लागू करने की मांग कर रहे थे और तब सरकार आनाकानी कर रही थी अब तेजस्वी सत्ता में साथ हैं तो उनपर दबाव बढ़ रहा है लेकिन उनको पता है कि इसे राज्य में लागू करना इतना आसान नहीं है इस वजह से उनकी पार्टी के नेता तो इसे लागू करने का दावा कर रहे हैं लेकिन तेजस्वी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं.
बिहार में 2005 के बाद जितनी भी नियुक्तियां हुई हैं सब नई पेंशन योजना के तहत हुई हैं. सरकार की तरफ से नियुक्त किए गए कर्मचारियों की संख्या 2 लाख 20 हजार के करीब है. साथ ही बड़ी संख्या में संविदा पर भी लोगों की नियुक्तियां हुई हैं. ऐसे में बिहार में इस पुरानी पेंशन योजना के लागू होने का लाभ बड़ी संख्या में कर्मचारियों को मिलेगा.
बिहार में जब कांग्रेस, राजद और वामपंथी दल सत्ता से बाहर थे तो भाजपा और जदयू गठबंधन की सरकार को लगातार प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने को लेकर घेरते रहते थे. राजद के तो घोषणापत्र का यह हिस्सा था. तेजस्वी ने तो इस मामले को विधानसभा तक में उठाया था. अब महागठबंधन की सरकार के गठने के बाद से तेजस्वी के लिए यह परेशानी का कारण बन गया है. जदयू इस पर जवाब नहीं दे पा रही है. राजद के नेता इसको लागू कराने का भरोसा दिला रहे हैं और गठबंधन के एक और दल सीपीआई इस लागू ना करने की स्थिति में सरकार पर दबाव बढ़ाने की बात कर रही है.
जदयू के नेता NDA के साथ जब सत्ता में थे तो साफ कह चुके थे कि सरकार को इसे लागू करने का कोई विचार नहीं है. अब जब तेजस्वी के साथ नीतीश गठबंधन में सरकार चला रहे हैं तो जदयू के लिए यह सवाल मुश्किल हो गया है. जदयू के नेता तो अब साफ कहने लगे हैं कि इस पर फैसला लेना मंत्रिमंडल का काम है और उसी की बैठक में इसपर फैसला हो सकती है. बता दें कि पुरानी पेंशन योजना में जहां कर्मचारियों को सेवानिवृति के बाद उनके अंतिम वेतन का आधा पेंशन के रूप में प्रतिमाह दिया जाता था वहीं नई पेंशन योजना में यह अंशदान पर आधारित व्यवस्था है जिसमें कर्मचारी और सरकार अपना-अपना हिस्सा देते हैं. ऐसे में पुरानी पेंशन योजना को लागू करते ही बिहार सरकार पर बोझ बड़ा होगा. वहीं अगर इस मुद्दे पर जल्दी सरकार ने फैसला नहीं लिया तो यह सरकार के लिए परेशानी का कारण भी बन जाएगी.