दो नियमित टेक्नीशियन के वावजूद ऑक्सीजन गैस जेनरेट प्लांट मरीज को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के बजाय स्वंय ऑक्सीजन के आस मे धूल फांक रहा है और ऑक्सीजन प्लांट में ताला लटका हुआ है.
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लखीसराय: कोरोना काल में सरकारी और निजी अस्पतालों में आक्सीजन की कमी को लेकर अफरातफरी मची रही. दूसरी लहर में संक्रमित लोगों के परिजनों को ब्लैक में आक्सीजन के सिलेंडर खरीदने पड़े. इस बात को लेकर सरकार की काफी आलोचना हुई थी. जनसमस्या के बीच चर्चा इस बात की भी हुई कि आक्सीजन की कमी से लोगों की मौत हुई और सरकार उचित व्यवस्था नहीं कर सकी. लोगों के आक्रोश को कम करने के लिए मेडिकल कालेज, सदर अस्पताल और अनुमंडल अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगाने का ऐलान किया गया. कुछ जगहों पर प्लांट लगाए भी गए. लेकिन मामूली तकनीकी गड़बड़ी की वजह से ये आक्सीजन प्लांट बंद हैं. लखीसराय में 80 लाख रुपये की लागत से आक्सीजन प्लांट लगाया गया लेकिन डेढ़ महीने से यहां उत्पादन बंद है.
प्लांट में लटका ताला
दो नियमित टेक्नीशियन के वावजूद ऑक्सीजन गैस जेनरेट प्लांट मरीज को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के बजाय स्वयं ऑक्सीजन के आस मे धूल फांक रहा है और ऑक्सीजन प्लांट में ताला लटका हुआ है. टेक्नीशियन की मानें तो तकनीकी फॉल्ट के कारण ऑक्सीजन प्लांट बंद पड़ा है. जिस कारण मरीजों के बेड तक पाइप लाइन के जरिए ऑक्सीजन नही पहुंच पा रहा है. बताया जाता है कि तकनीकी फॉल्ट के कारण समस्या उत्पन्न हुई है,हैदराबाद से इंजीनियर को बुलाया गया है.
उपकरणों को ठीक करने की नहीं हुई पहल
सदर अस्पताल प्रबंधन नंद किशोर भारती ने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट बंद रहने की जानकारी राज्य स्वास्थ्य समिति को दी गई है. अभी तक वहां से खराब उपकरण ठीक करने की पहल नहीं हुई है. वैकल्पिक व्यवस्था के तहत मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं सिविल सर्जन डॉ देवेंद्र कुमार चौधरी बताते हैं कि ऑक्सीजन गैस प्लांट पर सीधे उनका कमांड नही रहने पर तकनीकी फॉल्ट या अन्य खराबी को दूर करने के लिए उनके स्तर से कुछ विशेष पहल कर पाना संभव नही है. टेक्नीशियन के द्वारा मिली जानकारी के बाद राज्य के वरीय पदाधिकारी को अवगत करा दिया गया है. मरीजों को कोई परेशानी ना हो इसको लेकर सदर अस्पताल मे कंसट्रेटर मशीन सभी इमरजेंसी एवं ओटी वार्ड को करा दिया गया है.
रिपोर्टः राज किशोर मधुकर