77th Independence Day: बाघा बॉर्डर के बाद यहां सबसे पहले मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस का जश्न, रात 12 बजे होता है ध्वजारोहण
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77th Independence Day: बाघा बॉर्डर के बाद यहां सबसे पहले मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस का जश्न, रात 12 बजे होता है ध्वजारोहण

लोगों ने एक दूसरे को जलेबियां खिलाकर लोगों ने आजादी का जश्न मनाया और स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी. पूरी रात भारत माता की जय और वंदे मातरम जयकारे के गूंजते रहे. 

77वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न

77th Independence Day: देश आज यानी 15 अगस्त को अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. पूरे देश में जश्न का माहौल है और राष्ट्रभक्ति से संबंधित तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर पूर्णिया के भट्टा बाजार स्थित झंडा चौक को तिरंगा रोशनी से सजाया गया, जो देखने में काफी सुंदर लग रहा था. आधी रात 12:01 बजे तिरंगा फहराया गया. सन 1947 से चली आ रही परंपरा को कायम रखते हुए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल प्रसाद सिंह ने ऐतिहासिक झंडा चौक पर ध्वजारोहण किया. खुद को इस खास मौके का साक्षी बनाने बड़ी संख्या में लोग झंडा चौक पर इकट्ठा हुए. 

लोगों ने एक दूसरे को जलेबियां खिलाकर लोगों ने आजादी का जश्न मनाया और स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी. पूरी रात भारत माता की जय और वंदे मातरम जयकारे के गूंजते रहे. आजादी के उत्सव की शुरुआत पारंपरिक परिधानों में सजे बच्चों ने देशभक्ति गीतों पर जबर्दस्त प्रस्तुति देकर की. सन् 1947 से चली आ रही परंपरा को बरकरार रखते हुए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल प्रसाद सिंह ने ठीक 12:01 पर झंडा फहराया. राष्ट्रगान के बीच लोगों ने तिरंगे को सलामी दी. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग ऐतिहासिक झंडा चौक पर जमे रहे. 

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इस खास मौके पर सदर विधायक विजय खेमका, समेत कई लोग मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि पूर्णियावासियों के लिए ये गर्व की बात है कि वे उस ऐतिहासिक जिले के निवासी हैं, जहां बाघा बॉर्डर के बाद सबसे पहले आजादी का जश्न मनाया जाता है. हर वर्ष इस खास पल का साक्षी बनने का मौका का मौका मिलता है. यह परंपरा 14 अगस्त 1947 से चल रही है. इसे बरकरार रखते हुए 14 अगस्त की मध्य रात्रि में ठीक 12:01 पर ध्वजारोहण किया जाता है.

रिपोर्ट- मनोज कुमार

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