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पटना : बिहार में ग्रामीण आबादी की तुलना में तेजी से शहरी आबादी में बढ़ोत्तरी हुई है. अनुमान है कि 20 साल में बिहार की शहरी आबादी तीन गुना हो जाएगी. आपको बता दें कि इसकी सबसे बड़ी वजह बिहार में प्रजनन दर है जो देश में सबसे ज्यादा है.
बिहार में जहां एक तरफ 2011 के आंकड़ों के अनुसार 11.3 प्रतिशत आबादी शहरों में बसती थी वहीं 2031 के आते-आते यह आबादी तीन गुणा बढ़कर 34 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसे में बिहार का स्वास्थ्य महकमा जनसंख्या स्थिरीकरण पर जोर दे रहे है और इसको लेकर काम भी कर रहा है. अगर ऐसा नहीं हो पाया तो बिहार के शहरों में उपलब्ध संसाधनों पर आबादी का दबाव बढ़ेगा.
बिहार में स्वास्थ्य महकमा प्रजनन रोकने के उपायों को लेकर जागरूकता के साथ परिवार नियोजन के स्थाई और अस्थाई समाधानों पर काम कर रहा है. बता दें कि बिहार में जिस तेजी से प्रजनन दर बढ़ा है. जनसंख्या में बेतहासा वृद्धि हुई है. तेजी से शहरीकरण बढ़ा है. ऐसे में आनेवाले 20 साल में बिहार की शहरी आबादी तीन गुणा हो जाने का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसे में शहरों में उपलब्ध संसाधनों पर इस जनसंख्या की वजह से बोझ बढ़ेगा.
देश के अन्य राज्यों के मुकाबले में बिहार में प्रजनन दर सबसे ज्यादा है. यह देश की औसत प्रजनन दर से भी ज्यादा है. बिहार में प्रजनन दर तीन फीसद है. जबकि राष्ट्रीय प्रजनन दर का औसत दो प्रतिशत है. ऐसे में बिहार का स्वास्थ्य महकमा चिंतित है और शहरी इलाकों में जनसंख्या नियंत्रण की पहल पर तेजी से काम कर रहा है.
बिहार में जनसंख्या वृद्धि की दर देश की औसत दर्ज से कहीं ज्यादा पहले से है. 2001-11 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या वृद्धि दर 17.64 प्रतिशत थी जबकि बिहार में अकेले यह 25.42 प्रतिशत था. हालांकि लगातार जागरूकता के कार्यक्रम की वजह से इसमें कमी आई है जिसे राष्ट्रीय स्तर तक लाने का लक्ष्य है.
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