BPSC में 5 बार असफलता के बाद डिप्रेशन में गए रविराज, माता-पिता के सहारे बने अधिकारी
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BPSC में 5 बार असफलता के बाद डिप्रेशन में गए रविराज, माता-पिता के सहारे बने अधिकारी

BPSC Raviraj: रविराज ने बताया कि लगातार मेहनत के बाद उन्हें आखिरकार सफलता मिली. भले ही वे बीपीएससी परीक्षा पास नहीं कर सके, लेकिन अब वे बिहार प्रशासनिक सेवा में पश्चिम चंपारण में अपनी सेवा देंगे.

BPSC में 5 बार असफलता के बाद डिप्रेशन में गए रविराज, माता-पिता के सहारे बने अधिकारी

पूर्णिया: पूर्णिया के रविराज की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणादायक है जो बार-बार असफलता का सामना करने के बाद हिम्मत हार जाते हैं. 27 वर्षीय रविराज ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद बीपीएससी की तैयारी शुरू की. उनका सपना था कि वे बीपीएससी की परीक्षा पास करके अधिकारी बनें. इसके लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत की, लेकिन पांच बार परीक्षा देने के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिली. लगातार असफलताओं के कारण रविराज डिप्रेशन का शिकार हो गए. उनका मन पढ़ाई से बिलकुल हट गया और वे खुद को बाकी साथियों से पीछे महसूस करने लगे.

रविराज ने बताया कि जब वे असफल होते रहे, तो उन्हें बैचेनी होने लगी. उन्हें लगने लगा कि उनके सभी दोस्त सफल हो रहे हैं लेकिन वे नहीं. इस चिंता ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया और उनका पढ़ाई से मन पूरी तरह उठ गया. वे डिप्रेशन में चले गए और सोचने लगे कि आखिर उनसे कहां गलती हो रही है. इस दौरान, उनके माता-पिता ने उनका हौसला बढ़ाया. उनके पिता सुशील कुमार साह, माता किरण देवी और उनके कोचिंग के गुरु एके मिश्रा ने उन्हें मोटिवेट किया. परिवार और गुरुजनों के समर्थन से उन्हें फिर से अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत मिली. उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर से मेहनत करने लगे.

रविराज ने बताया कि लगातार प्रयासों के बाद रविराज को सफलता मिली. भले ही वे बीपीएससी परीक्षा पास नहीं कर सके, लेकिन अब वे बिहार प्रशासनिक सेवा में पश्चिम चंपारण में अपना योगदान देंगे. उन्होंने बताया कि सफलता और असफलता के बीच सही संतुलन बनाए रखना जरूरी है, वरना छोटी-सी चूक हमें पूरी तरह हताश कर सकती है.

अब रविराज उन युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं, जो असफलताओं से हार मानकर अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं. वे युवाओं से अपील करते हैं कि असफलता से घबराएं नहीं, क्योंकि असफलता ही सफलता की सीढ़ी होती है. मेहनत करते रहें और अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश में जुटे रहें. रविराज की यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो कठिन समय में हार मान लेते हैं. उनका मानना है कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.

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