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पटना:Bihar News: बिहार की राजधानी पटना से 30 किलोमीटर दूर बिहटा प्रखंड में एक ऐसा स्कूल है जिसे सरकार ने मान्यता तो 10+2 की दी गई है, लेकिन स्कूल में शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई है. पिछले कई सालों से स्कूल में दसवीं के विद्यार्थी स्कूल तो आते हैं लेकिन शिक्षक नहीं होने के चलते अपनी हाजिरी बना कर घर लौट जाते हैं. विद्यालय के प्राचार्य ने कई बार इसकी शिकायत विभागीय अधिकारियों से की, लेकिन अधिकारी चुपचाप बैठे तमाशा देख रहे हैं. ऐसे में विद्यार्थियों को मजबूरन खुद से या कोचिंग के सहारे पढ़ना पड़ रहा है.
विभाग को कई बार दी जानकारी
दरअसल पटना जिले के बिहटा प्रखंड के बिंदौल पंचायत में मात्र एक राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय है, लेकिन इस विद्यालय में मिडिल स्कूल तक के शिक्षकों की नियुक्ति की गई है. उसके ऊपर वाले कक्षाओं के लिए अभी तक शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है. जिसके कारण ऊंचे वर्ग के विद्यार्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. विद्यालय के प्राचार्य ने कई बार विभाग को इसकी जानकारी दी है, लेकिन अभी तक विद्यालय में ऊंचे कक्षाओं के लिए शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है.
2016 में किया गया अपग्रेड
बताया जा रहा है कि वर्ष 2016-17 में इस विद्यालय को राजकीय मध्य विद्यालय से अपग्रेड कर उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय बनाया गया था, लेकिन विद्यालय के अपग्रेड हुए कई साल बीत जाने के बावजूद भी इस विद्यालय में एक भी हायर एजुकेशन के शिक्षक की प्रतिनियुक्ति नहीं की गई है. इस मामले में विद्यालय के प्राचार्य दीनबंधु झा ने बताया कि 2016 में इस विद्यालय को दसवीं की मान्यता मिली उसके बाद 2018 में 12वीं की मान्यता दी गई. मान्यता मिलने के बाद भी शिक्षकों की नियुक्ति अभी तक नहीं हुई है. विभाग को कई बार इसकी जानकारी दी गई, लेकिन विभाग के द्वारा अभी तक इस विद्यालय में शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है. जिसके चलते विद्यार्थियों को पढ़ने में काफी दिक्कत होती है.
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अधिकारी के बच्चे मॉडल स्कूल में पढ़ते हैं
स्कूल में चल रही परीक्षा देने पहुंचे विद्यार्थियों ने बताया कि विद्यालय को राजकीय मध्य विद्यालय से उत्क्रमित उच्च विद्यालय में अपग्रेड तो कर दिया गया है, लेकिन विद्यालय में सरकार के द्वारा शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है. हम लोग तो स्कूल में सिर्फ हाजिरी बनाने के लिए आते हैं, ताकि मैट्रिक परीक्षा के लिए फॉर्म भरने में कोई परेशानी नहीं हो. वहीं स्कूल में शिक्षकों की कमी को लेकर अभिभावकों को कहना है कि अधिकारी अपने बच्चे को मॉडल स्कूल में पढ़ाते हैं और हमारे बच्चों को अभी तक एक शिक्षक भी नसीब नहीं है.