लिव-इन रिलेशन को लेकर सर्वे में हुआ हैरतअंगेज खुलासा, शादी को लेकर ये सोचते हैं भारतीय
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लिव-इन रिलेशन को लेकर सर्वे में हुआ हैरतअंगेज खुलासा, शादी को लेकर ये सोचते हैं भारतीय

केरल हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि नई पीढ़ी शादी को बुराई मानती है, आजादी के लिए वो इससे दूर भागती है. यही वजह है कि आज लिव इन रिलेशनशिप के मामले बढ़ रहे हैं. हमें यूज एंड थ्रो के कल्चर ने बर्बाद कर दिया है.

 (फाइल फोटो)

Patna: केरल हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि नई पीढ़ी शादी को बुराई मानती है, आजादी के लिए वो इससे दूर भागती है. यही वजह है कि आज लिव इन रिलेशनशिप के मामले बढ़ रहे हैं. हमें यूज एंड थ्रो के कल्चर ने बर्बाद कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह समाज के लिए चिंता का विषय है.

नई पीढ़ी जिम्मेदारियों से रहना चाहती है मुक्त 

अदालत ने आगे कहा, नई पीढ़ी जिम्मेदारियों से मुक्त रहना चाहती है. वे 'वाइफ' शब्द को अब 'वरी इनवाइटेड फॉर एवर' (चिंता हमेशा के लिए आमंत्रित करना) समझ रहे हैं, जबकि पहले ये 'वाइज इंवेस्टमेंट फॉर एवर' (हमेशा के लिए समझदारी का निवेश) था. इसलिए शादी करने के बजाय लिव इन रिलेशनशिप में रहना ज्यादा पसंद करते हैं. इसमें उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं उठानी पड़ती और जब चाहें वे इस रिश्ते से मुक्त हो सकते हैं.

सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने यह जानने के लिए आईएएनएस की ओर से एक राष्ट्रव्यापी सर्वे किया कि लोग अदालत द्वारा की गई टिप्पणी के बारे में क्या सोचते हैं.
सर्वे में 48 प्रतिशत लोगों ने कोर्ट के इस तथ्य से पूरी तरह सही बताया, वहीं 28 प्रतिशत लोग आंशिक रूप से कोर्ट से सहमत हुए. इनके अलावा, बाकी 24 प्रतिशत लोगों ने इस पर अपनी राय देने से इनकार कर दिया.

सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, पुरुष और महिला दोनों उत्तरदाताओं का सबसे बड़ा अनुपात अदालत के अवलोकन से पूरी तरह सहमत था.  सर्वे के दौरान, 53 प्रतिशत पुरुष और 43 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं ने जोर देकर कहा कि अदालत ने बिल्कुल सही अवलोकन किया है. वहीं, 26 फीसदी पुरुष मतदाताओं और 31 फीसदी महिला उत्तरदाताओं का मत था कि वे अदालत के बयान से आंशिक रूप से सहमत हैं.

सर्वे के दौरान, युवा और वृद्ध आयु वर्ग के 50 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने अदालत की कही गई बातों से पूरी तरह सहमति व्यक्त की. सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, 18-24 साल के 56 प्रतिशत उत्तरदाताओं, 25-34 वर्ष आयु वर्ग के 51 प्रतिशत उत्तरदाताओं और 55 वर्ष से अधिक आयु के 52 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अदालत का अवलोकन मौजूदा समय में समाज की वास्तविकता को दर्शाता है.

(इनपुट:आईएएनएस)

 

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