Vijayadashami 2024: दशहरे पर रावण दहन की परंपरा सबसे प्रमुख होती है. रावण का पुतला जलाना बुराई को खत्म कर जीवन में सकारात्मकता लाने का प्रतीक है. रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन यह दिखाता है कि हर तरह की नकारात्मकता का अंत होना चाहिए, ताकि अच्छे गुणों का विकास हो सके.
Trending Photos
Vijayadashami 2024: दशहरा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस साल दशहरा 12 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा. इस दिन रावण दहन, शस्त्र पूजा और जवारे विसर्जन जैसी परंपराएं निभाई जाती हैं, जिन्हें शुभ मुहूर्त के अनुसार किया जाता है. रावण दहन का समय इस साल सूर्यास्त के बाद शाम 5:54 बजे से शुरू होगा और यह समय ढाई घंटे तक चलेगा. यह प्रदोष काल में किया जाता है, जो सूर्यास्त के बाद का समय होता है. इस समय रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाएगा.
दशहरा का महत्व केवल भगवान राम द्वारा रावण का वध करना नहीं है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक और नैतिक संदेश भी है. यह पर्व हमें जीवन में बुराइयों को छोड़कर अच्छाई का अनुसरण करने की प्रेरणा देता है. भगवान राम की पूजा इस दिन करने से आत्मविश्वास, नैतिक बल और आंतरिक शुद्धि का विकास होता है. दशहरा यह भी सिखाता है कि असत्य पर सत्य की हमेशा जीत होती है और बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंततः अच्छाई की ही विजय होती है.
रावण दहन की परंपरा दशहरे का मुख्य आकर्षण होती है. रावण का पुतला दहन बुराई को खत्म करने और जीवन में सकारात्मकता लाने का प्रतीक माना जाता है. रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का जलना यह दर्शाता है कि जीवन में हर प्रकार की नकारात्मकता का अंत होना चाहिए, ताकि दिव्य गुणों का उदय हो सके. दशहरा हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपनी आंतरिक बुराइयों से लड़ना चाहिए और जीवन में अच्छे विचारों और कर्मों का पालन करना चाहिए.
इस दिन शस्त्र पूजा भी की जाती है, जिसमें शस्त्रों की पूजा कर शक्ति और साहस का आह्वान किया जाता है. इसके साथ ही, जवारे विसर्जन की परंपरा भी निभाई जाती है, जो नई ऊर्जा और उन्नति का प्रतीक है. विजयादशमी का संदेश यही है कि सद्गुणों और सकारात्मकता के साथ जीवन को बेहतर बनाया जाए, बुराइयों से दूर रहकर सच्चाई और अच्छाई का पालन किया जाए.
ये भी पढ़िए- Navratri 2024: सप्तमी पर जानें कैसे करें मां कालरात्रि की पूजा, पाएं विशेष आशीर्वाद