बिहार में अब बाढ़ के सहारे सियासी बढ़त लेने में जुटे दल, पक्ष-विपक्ष आमने-सामने
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बिहार में अब बाढ़ के सहारे सियासी बढ़त लेने में जुटे दल, पक्ष-विपक्ष आमने-सामने

बीजेपी के नेता शहनवाज हुसैन ने भी इशारों ही इशारों में जेडीयू को आईना दिखाते हुए कहा कि बहुत मामलों में मुख्यमंत्री को भी पहुंचना होता है, जहां वे नहीं पहुंच पाते हैं.

बीजेपी दफ्तर से राहत सामग्री से भरे ट्रक को रवाना करते कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा. (तस्वीर- ANI)

पटना : बिहार में बाढ़ का प्रकोप लगातार जारी है. बाढ़ की स्थिति का सहारा लेकर अब राजनीति दल सियासी बढ़त लेने में जुट गए हैं. बाढ़ की स्थिति के कारण नेता अब एक-दूसरे पर पर आरोप लगाने में लगे हुए हैं. वैसे, बिहार के लिए बाढ़ कोई नई बात नहीं है. बिहार में प्रतिवर्ष लाखों लोग बाढ़ की त्रासदी झेलते हैं, लेकिन नेता इस त्रासदी के बीच भी अपने सियासी शतरंज पर शह और मात का खेल जारी रखते हैं. 

बिहार में मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) जहां नीतीश सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बाढ़ के बहाने निशाना साध रही है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पूर्व उपमुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव पर अब तक बाढ़ प्रभावित इलाकों में नहीं जाने पर कटाक्ष कर आरजेडी को असंवेदनशील बता रहे हैं. 

इस बीच हालांकि बिहार में सत्तारूढ़ बीजेपी और जेडीयू भी इशारों ही इशारों में एक-दूसरे पर बाढ़ को लेकर बढ़त बनाने में लगे हैं. जेडीयू के प्रधान महासचिव क़े सी़ त्यागी ने कहा कि बिहार के लोग बाढ़ से त्रस्त हैं. बिहार के लोगों की इच्छा इस दुख के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार आने की है. त्यागी ने नसीहत देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को अपने मन की बात में बिहार की बाढ़ की भी चर्चा करनी चाहिए थी.

त्यागी ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी अगर मन की बात में बिहार और असम की बाढ़ की चर्चा करते तो और बेहतर होता. मोदी को अभी भी बिहार पहुंचकर हालात की जानकारी लेनी चाहिए." 

त्यागी के बयान पर बीजेपी के नेता शहनवाज हुसैन ने भी इशारों ही इशारों में जेडीयू को आईना दिखाते हुए कहा कि बहुत मामलों में मुख्यमंत्री को भी पहुंचना होता है, जहां वे नहीं पहुंच पाते हैं. स्वभाविक है कि बिहार के लोगों की इच्छा होती है. 

इधर, विपक्ष भी सत्तारूढ़ एनडीए पर बाढ़ को लेकर असंवेदनशील होने का आरोप लगाया है. आरजेडी के विधायक भाई वीरेंद्र कहते हैं कि सरकार पूरी तरह असंवेदनशील है. बाढ़ पीड़ितों को कहीं भी सुविधा नहीं दी जा रही है. लोगों के घर बह गए हैं. राहत शिविर तक बंद कर दी गई है. आखिर बाढ़ पीड़ित कहां जाएं? उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि डबल इंजन, यानी केंद्र अैर राज्य में एक ही गठबंधन की सरकार है, फिर भी बाढ़ पीड़ित परेशान हैं. 

बिहार बीजेपी के विधायक संजीव चौरसिया ने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है. उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ कि बाढ़ पीड़ितों के खाते में बाढ़ आने के चार दिनों के अंदर छह-छह हजार रुपये पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि अब तक विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव अभी तक बाढ़ पीड़ितों से मिलने बाढ़ प्रभावित इलाकों में नहीं जा सके. 

उल्लेखनीय है कि राज्य के 13 जिलों के 111 प्रखंडों की 88 लाख 46 हजार से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है. बाढ़ की चपेट में आने से अब तक 130 लोगों की मौत हो गई है. लोग अपने-अपने इलाके के ऊंचे राजमार्ग पर शरण लिए हुए हैं और राहत सामग्री की बाट जोह रहे हैं. हजारों हेक्टेयर में लगी फसलें बर्बाद हो गई हैं. सैकड़ों मवेशी मर गए हैं.

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