NITI Ayog में बिहार के 3 मंत्रियों की एंट्री, बजट से पहले मोदी सरकार ने सहयोगी दलों को क्या संदेश दिया?
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NITI Ayog में बिहार के 3 मंत्रियों की एंट्री, बजट से पहले मोदी सरकार ने सहयोगी दलों को क्या संदेश दिया?

NITI AAYOG Faormation: पीएम मोदी ने हाल ही में नीति आयोग का पुनर्गठन किया है, जिसमें बिहार से जीतनराम मांझी, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और चिराग पासवान को जगह दी गई है. इस तरह मंत्रिमंडल के अलावा पीएम मोदी ने नीति आयोग में भी सहयोगी दलों के नेताओं को तरजीह दी है.  

नीति आयोग

मोदी सरकार ने NITI Ayog का पुनर्गठन कर दिया है. अब NITI Ayog में बिहार के 3 मंत्री विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किए गए हैं. इन तीन मंत्रियों में जीतनराम मांझी, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और चिराग पासवान शामिल हैं. इनके अलावा झारखंड की अन्नपूर्णा देवी को भी विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में भी नीति आयोग में जगह मिली है. नीति आयोग का पुनर्गठन ऐसे समय में हुआ है, जब कुछ दिनों बाद ही देश का केंद्रीय बजट लोकसभा में पेश किया जाने वाला है. इससे पहले बिहार और आंध्र प्रदेश नए बजट में अपने लिए विशेष पैकेज या फिर विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू तो 15 दिनों के भीतर दूसरी बार दिल्ली के दौरे पर हैं और प्रधानमंत्री के अलावा गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलकर आंध्र प्रदेश के लिए बजट में फोकस करने पर बल दे चुके हैं. इधर, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने तो कार्यकारिणी की बैठक में पास किए प्रस्ताव में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के पक्ष में आवाज मुखर किया है.

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नीति आयोग का काम क्या?

योजना आयोग को खत्म कर मोदी सरकार ने 2015 में नीति आयोग की शुरुआत की थी. नीति आयोग का काम देश के विकास के लिए नई नीतियों और कार्यक्रमों का मसौदा तैयार करना है. इसके अलावा नीति आयोग देश के विकास की दीर्घकालिक रणनीति और दृष्टिकोण तैयार कर योजनाओं का दस्तावेज तैयार करता है. साथ ही यह राज्यों के साथ मिलकर राज्य स्तरीय नीतियों और योजनाओं को तैयार करने में अहम भूमिका निभाता है. राज्यों की जरूरतों और संघीय ढांचे को ध्यान में रखकर यह नीतियों और कार्यक्रम तैयार करता है. सबसे बड़ी बात यह है कि नीति आयोग नवाचार यानी स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए सरकार को सुझाव भी देता है.

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सहयोगी दलों का रोल

नीति आयोग में सरकार के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, उद्योग जगत, शिक्षा संस्थान, थिंक टैंक, गैर सरकारी संगठन और नागरिक समाज के लोग होते हैं. ऐसे में सहयोगी दलों के प्रतिनि​धियों की भूमिका काफी अहम हो जाती है. सहयोगी दल किसी मांग को लेकर काफी मुखर होते हैं और वे अपनी मांग को लेकर काफी रिसर्च के साथ मुस्तैद होते हैं. इस तरह नीति आयोग में सहयोगी दलों के शामिल होने से व्यावहारिक और प्रभावी नीति बनाने में मदद मिलती है. सहयोगी दलों की ओर से उठाए गए मुद्दों से नीति आयोग को जमीनी हकीकत के बारे में पता चलता है और वह उसी हिसाब से नीति बना सकता है.

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विशेष पैकेज मिले तो बिहार बनेगा विकसित राज्य

जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर बिहार को आगामी बजट में अधिक धन आवंटित करने की मांग की थी. बाद में उन्होंने बताया कि वित्त मंत्री से उनकी बिहार के विकास और जनहित से जुड़े कई मसलों पर व्यापक चर्चा हुई. आपको याद हो कि जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पास किए गए राजनीतिक प्रस्ताव में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने या फिर विशेष पैकेज देने की मांग की गई थी. जेडीयू का कहना है कि केंद्र से विशेष मदद मिलने के 5 सालों के भीतर बिहार विकसित राज्य बन सकता है.

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