इस बार असदुद्दीन ओवैसी का प्लान थोड़ा बड़ा है, तगड़े नुकसान से कैसे बचेंगे तेजस्वी यादव?
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इस बार असदुद्दीन ओवैसी का प्लान थोड़ा बड़ा है, तगड़े नुकसान से कैसे बचेंगे तेजस्वी यादव?

सीमांचल में पहले बीजेपी की ओर से अमित शाह फिर महागठबंधन की ओर से सभी सातों दलों के नेताओं ने रैली की. इनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के अलावा जीतनराम मांझी और अन्य दलों के नेताओं ने भी शिरकत की.

असदुद्दीन ओवैसी, AIMIM प्रमुख

सीमांचल में पहले बीजेपी की ओर से अमित शाह फिर महागठबंधन की ओर से सभी सातों दलों के नेताओं ने रैली की. इनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के अलावा जीतनराम मांझी और अन्य दलों के नेताओं ने भी शिरकत की. उसके बाद असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल में अधिकार पदयात्रा कर अपनी रणनीति के संकेत दे दिए. पहले राजनीतिक जानकारों को लगा कि असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल में ही अपना फोकस रखेंगे पर अब उनके बिहार से लौटने के बाद एआईएमआईएम की रणनीति का खुलासा हुआ है. माना जा रहा है कि एआईएमआईएम अब केवल सीमांचल पर फोकस नहीं रखेगी और बिहार के अन्य जिलों में जहां मुस्लिम आबादी प्रभावी है, वहां भी अपना फोकस बढ़ाने जा रहे हैं. अगर ओवैसी की रणनीति को लोकसभा और उसके बाद विधानसभा चुनाव में थोड़ी सी भी सफलता मिली तो यह महागठबंधन और खासतौर से राजद नेता तेजस्वी यादव के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. 

सीमांचल ही नहीं, इन जिलों पर भी ओवैसी की नजर 

एआईएमआईएम के रणनीतिकारों का मानना है कि इस बार पार्टी की नजर मुंगेर, भागलपुर, कटिहार, बेगुसराय और चंपारण पर है और पार्टी ने वहां अपनी तैयारी शुरू कर दी है. जानकार इसे एआईएमआईएम की बड़ी रणनीति मान रहे हैं और उनके अनुसार इससे महागठबंधन को दिक्कत हो सकती है. ओवैसी सीमांचल के बार एआईएमआईएम के लिए जमीन की तलाश कर रहे हैं. अगर उनका प्लान सफल हो गया तो यह बिहार की राजनीति में बहुत बड़ा परिवर्तन होगा. एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान का कहना है कि अगले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कई जिलों में पार्टी का बेस बढ़ाने पर काम चल रहा है. 

जहां मुसलमान प्रभावी, उन जिलों पर भी आजमाएंगे दांव 

हाल ही में जब असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल के दौरे पर आए थे और अधिकार पदयात्रा की थी तो पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने खास तरह की रणनीति बनाई, जैसा कि सूत्र बता रहे हैं. सू़त्रों की मानें तो ओवैसी ने सीमांचल के अलावा गोपालगंज और कुढ़नी विधानसभा सीटों के उपचुनावों के नतीजों से उत्साहित होकर तय किया है कि एआईएमआईएम अब केवल सीमांचल में ही सीमित नहीं रहने वाली. सीमांचल में लोकसभा की 4 और विधानसभा की 24 सीटें हैं. इन पर तो ओवैसी अपनी नजर रखे ही हुए हैं पर उनका निशाना कुछ ऐसे जिलों पर भी है, जहां मुस्लिम वोट बैंक प्रभावी है. 

राजद को जैसे को तैसा वाला जवाब देने की तैयारी 

अभी एआईएमआईएम का फोकस सीमांचल पर तो है ही. सीमांचल में पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था और 5 सीटें जीतने में सफलता मिली थी. हालांकि राजद ने 4 विधायकों को तोड़कर ओवैसी की पार्टी को बड़ा झटका दिया था. अभी ओवैसी सीमांचल में हुए नुकसान की भरपाई के अलावा राजद को अन्य जिलों में जैसे को तैसा वाला झटका देने की रणनीति बना रहे हैं. इस तरह महागठबंधन को दोतरफा लड़ाई लड़नी होगी. एक तरफ उसका मुख्य मुकाबला बीजेपी से होगा तो ओवैसी की पार्टी भी पीछे से वार करने वाली है, जिससे महागठबंधन खास तौर से राजद नेता तेजस्वी यादव को सजग रहना होगा.

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