Bihar Politics: झारखंड के अलग होने के बाद से बिहार के नेताओं ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए अपनी आवाज बुलंद की थी. सीएम नीतीश ने इस मुद्दे को बिहारी स्वाभिमान से जोड़ दिया था.
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Bihar Politics: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र सरकार ने साफ इनकार कर दिया है. इससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तगड़ा झटका लगा है. हालांकि, जेडीयू ने अब विशेष पैकेज की मांग रखी है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि अब बिहार बीजेपी का भविष्य केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के हाथों में है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज (मंगलवार, 23 जुलाई) अपना सातवां बजट पेश करने वाली हैं. वह आज सुबह 11 बजे संसद के सामने बजट पेश करेंगी. उम्मीद की जा रही है कि इस बजट में वह अपने सहयोगी जेडीयू की मांग को जरूर पूरा करेंगी. बिहार बीजेपी के अध्यक्ष और बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने भी यही उम्मीद जताई है. सम्राट चौधरी ने कहा कि हम लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी जी और केंद्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि बिहार को विशेष आर्थिक मदद की जरूरत है. प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री इस पर निर्णय लेंगे.
उन्होंने कहा कि एनडीए के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बिहार को हमेशा विशेष मदद देने का काम किया है. चाहे वो अटल जी की सरकार रही हो या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार. हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री इस पर निर्णय जरूर लेंगे. जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय झा भी कहते हैं कि अगर केंद्र सरकार को विशेष राज्य का दर्जा देने में दिक्कत है तो हमने विशेष आर्थिक पैकेज की मांग भी की है. उन्होंने कहा कि हमें सरकार से उम्मीद है कि वह हमारी मांगों पर विचार करेगी.
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सियासी जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था और उन्होंने इसे बिहारी प्राइड से भी जोड़ने की कोशिश की थी. 2014 का लोकसभा चुनाव उन्होंने इसी मुद्दे पर लड़ा था. हालांकि, बीजेपी से अलग होने के कारण उन्हें सिर्फ 2 सीटें हाथ लगी थी. 2019 में बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत था, लेकिन 2019 में जेडीयू किंगमेकर की भूमिका में है. लिहाजा, जेडीयू ने एक बार फिर से इस मुद्दे को हवा दे दी है. अब केंद्र ने तो साफ इनकार कर दिया है. नीतीश कुमार को करीब से जानने वालों का कहना है कि अगर केंद्र की ओर से विशेष पैकेज नहीं मिला तो नीतीश कुमार इसे अपने स्वाभिमान से जोड़ सकते हैं और फिर बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है. वहीं नीतीश कुमार के लिए राजद के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं.