Bihar Budget Highlights: नीतीश कुमार जिस जिद और मांग पर अड़े थे, बजट 2024 में वो तो नहीं मिला पर निर्मला सीतारमण की पोटली से जो निकला, उससे बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन में खुशहाली छा गई है.
Trending Photos
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज खुश तो बहुत होंगे. भले ही केंद्र की मोदी सरकार ने उनकी विशेष राज्य के दर्जे की मांग खारिज कर दी, लेकिन बजट में शुरू से लेकर अंत तक बिहार ही छाया रहा. बजट में बिहार को छोड़कर आंध्र प्रदेश को भी प्रमुखता मिली लेकिन इन दोनों राज्यों की तरह अन्य राज्यों को उतनी प्रमुखता नहीं दी गई. आधारभूत संरचना से लेकर बाढ़ से निजात के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई ऐलान किए. वहीं बिहार में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी निर्मला सीतारमण की पोटली से बहुत कुछ निकला. कई बार तो ऐसा लगा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का नहीं, बल्कि बिहार का बजट भाषण पढ़ रही हैं. जाहिर सी बात है कि नीतीश कुमार यह सब देख सुनकर बहुत खुश होंगे. जिन मांगों को लेकर नीतीश कुमार कभी अधिकार यात्रा पर निकले, अधिकार रैली की, तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर थक गए, आज उनकी मांग पर सतही तौर पर ही सही, मुहर लग गई.
READ ALSO: नीतीश के हथियार को विपक्ष ने बनाया ब्रह्मास्त्र, क्या इस बजट से कोई फर्क पड़ेगा?
मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट पर अपना रिएक्शन देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, बजट से हम बहुत खुश हैं. विशेष राज्य के दर्जे के लिए हमलोग आंदोलन कर रहे थे. बिहार को विशेष दर्जा दिलाने के लिए हम लगातार बोलते रहे. हमने कहा था कि विशेष राज्य का दर्जा दीजिए या विशेष मदद दीजिए जिससे राज्य आगे बढ़ सके. केंद्र से अगर अतिरिक्त मदद मिलेगी तो फायदा मिलेगा.
बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर नीतीश कुमार ने क्या नहीं किया. नीतीश कुमार ने यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह पर आरोप लगाया था कि उनके पास बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर बात करने के लिए वक्त ही नहीं है. नीतीश कुमार का आरोप था कि बात करने के लिए मनमोहन सिंह से वक्त मांगा गया था पर नहीं मिला.
READ ALSO: Budget 2024: ऐसा लग रहा था, बिहार के लिए बजट पेश कर रही हैं वित्त मंत्री सीतारमण
12 साल पहले 2012 में जेडीयू ने बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया और सवा करोड़ लोगों के हस्ताक्षर वाला मेमोरेंडम केंद्र सरकार को भेजा था. तब मनमोहन सिंह की सरकार ने बिहार सरकार के दबाव में एक अंतर मंत्रालयी समूह बनाया, लेकिन इसका कोई हल निकलकर नहीं आया. अंतर मंत्रालयी समूह ने नीतीश कुमार की मांग को खारिज कर दिया. तब नीतीश कुमार ने विशेष राज्य के दर्जे के लिए तय पैमाने में फेरबदल की जरूरत पर जोर दिया था.
इस बीच 12 मई 2012 को मनमोहन सिंह की तत्कालीन सरकार के वरिष्ठ मंत्री पवन बंसल पटना पहुंचे थे, जहां उन्होंने स्पष्ट रूप से मना कर दिया था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा. पटना पहुंचकर कोई केंद्रीय मंत्री यह ऐलान करे, नीतीश कुमार को चिढ़ाने के लिए इतना काफी था.
READ ALSO: 9 प्वाइंट में जानें बिहार को निर्मला सीतारमण की पोटली से क्या क्या मिला?
नीतीश कुमार ने 16 जून 2012 को तब के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर बिहार को स्पेशल स्टेटस की जरूरत पर बल दिया था. 19 सितंबर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मांग के समर्थन में अधिकार यात्रा की शुरुआत की थी. इसके बाद 4 नवंबर 2012 को पटना के गांधी मैदान में उन्होंने अधिकार रैली की. रैली में नीतीश कुमार ने ऐलान किया था कि हमारी मांगों पर विचार नहीं हुआ तो मार्च में हम दिल्ली के रामलीला मैदान को भर देंगे.