Explainer: नीतीश कुमार अभी क्यों नहीं छोड़ सकते NDA? ये रहे 5 बड़े कारण
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2417797

Explainer: नीतीश कुमार अभी क्यों नहीं छोड़ सकते NDA? ये रहे 5 बड़े कारण

Bihar Politics: सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने कहा कि वो अब इधर-उधर कहीं नहीं जा रहे हैं. उन्होंने साफ कहा कि उनसे 2 बार गलती हो चुकी है, अब गलती नहीं करेंगे.

CM नीतीश-PM मोदी

Bihar Politics: बिहार की सियासी गलियारों में बीते तीन दिनों से एक ही चर्चा है कि सीएम नीतीश कुमार फिर से पलटी मार सकते हैं. यह कयासबाजी उस वक्त से लगाई जा रही हैं जब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सीएम से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद प्रदेश की सत्ता में फिर से बड़ा बदलाव होने की अटकलें लगाई जा रही थीं. हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सारा कुछ पानी की तरह साफ कर दिया. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के सामने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कहा कि हमने 2 बार आरजेडी के साथ जाकर गलती की थी, अब ऐसी गलती दोबारा नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि मेरे आने के पहले इन लोगों (राजद वालों) ने कभी कुछ किया था? सीएम ने कहा कि अस्पतालों की स्थिति बिहार में खराब थी. बीजेपी की ओर इशारा करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि जो भी काम हुआ है, हम लोगों ने मिलकर किया है. सीएम के इस बयान से बीजेपी को जहां राहत मिली होगी, वहीं राजद की उम्मीद चकनाचूर हो गई होगी. नीतीश कुमार इस वक्त NDA छोड़ने की पोजीशन में नहीं हैं, हम आपको इसके 5 बड़े कारण भी बताने जा रहे हैं.

  1. CM नीतीश का बीजेपी से कोई दुराव नहीं- नीतीश कुमार के पास अभी एनडीए से अलग होने का कोई कारण नहीं है. उनका बीजेपी या अन्य किसी भी सहयोगी दलों से कोई दुराव नहीं है. एनडीए सरकार में बीजेपी के दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा हमेशा मुख्यमंत्री का सम्मान करते हैं और हमेशा सरकार के बचाव में ही खड़े रहते हैं. जबकि इससे पहले 2022 में बीजेपी के दोनों डिप्टी तार किशोर प्रसाद और रेणु देवी से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खतरा महसूस हो रहा था. दरअसल, तारकिशोर प्रसाद पिछड़ा वर्ग से थे और रेणु देवी दलित समाज से आती थीं. नीतीश कुमार को लगता था कि बीजेपी ने उनके वोटबैंक में सेंधमारी के लिए इन दोनों नेताओं को डिप्टी सीएम बनाया है. दोनों नेताओं ने भी मुख्यमंत्री के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी थी. अभी नीतीश कुमार को ऐसी कोई समस्या नहीं है.   
  2. नीतीश के जाने से मोदी सरकार नहीं गिरेगी- नीतीश कुमार राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं. वो बिना नफा-नुकसान तोले कोई कदम नहीं उठाते. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने से केंद्र की मोदी सरकार में नीतीश कुमार की अहमियत बढ़ गई है. यही वजह है कि मोदी सरकार भी बिहार पर पूरी तरह से मेहरबान है. केंद्र ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा तो नहीं दिया लेकिन विशेष पैकेज में इतनी बड़ी रकम दे दी है कि मुख्यमंत्री खुश हैं. नीतीश कुमार जानते हैं कि चुनावी साल में अगर एनडीए का साथ छोड़ा तो मोदी सरकार तो नहीं गिरेगी, लेकिन ये कृपा बसरनी जरूर बंद हो जाएगी. लिहाजा विधानसभा चुनाव तक नीतीश कुमार एनडीए छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले हैं.
  3. NDA में रहकर प्रशांत किशोर से खतरा नहीं- बिहार में 'एनडीए' और 'इंडिया' के अलावा एक और राजनीतिक ध्रुव का उदय हो रहा है. दरअसल, जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर आगामी 2 अक्टूबर को अपनी पार्टी लॉन्च करने वाले हैं. उन्होंने बिहार की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है और इसके लिए वो दिन-रात एक किए हुए हैं. उन्हें जिस तरह का जनसमर्थन हासिल हो रहा है उससे साफ है कि बिहार में तीन सियासी ध्रुव हो जाएंगे. प्रशांत किशोर ने जिस तरह अपने साथ लोगों की फौज खड़ी की है, उससे राजनीतिक दलों में घबराहट है. बीजेपी में तो इससे अधिक बेचैनी नहीं दिखती, लेकिन आरजेडी और जेडीयू इससे खासा परेशान हैं. पीके के निशाने पर भी आरजेडी और जेडीयू दो दल ज्यादा रहते हैं. पीके बार-बार यह बात कहते हैं कि लालू और नीतीश ने 30 साल में बिहार को बर्बाद किया है. संभव है कि इससे नीतीश के मन में भी भाजपा के प्रति अविश्वास पैदा हो, लेकिन वो पिछले चुनाव में चिराग पासवान का खेल देख चुके हैं, इसलिए वह एनडीए छोड़ने का खतरा नहीं ले सकते हैं.
  4. एनडीए समर्थकों के हाथ में JDU- जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व में अभी एनडीए समर्थकों का दबदबा है. संजय झा पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हैं. वो बीजेपी माइंडेड माने जाते हैं. 2024 में नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी की पूरी पटकथा संजय झा ने ही तैयार की थी. बदले में नीतीश कुमार ने भी उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया. इससे पहले इस कुर्सी पर ललन सिंह बैठते थे. उन पर लालू यादव से करीबी होने के आरोप लगते रहे. अब वह भी मोदी सरकार में मंत्री हैं. लिहाजा वह भी एनडीए से अलग होने की सलाह नहीं दे सकते. इसके अलावा जेडीयू के महासचिव मनीष वर्मा भी बीजेपी माइंडेड हैं. सूत्रों के मुताबिक, मनीष वर्मा के पीछे ओडिशा की IAS लॉबी है, जिसे अश्विनी वैष्णव लीड करते हैं.
  5. एक मुलाकात से कुछ नहीं होता- वहीं तेजस्वी यादव और सीएम नीतीश कुमार की सिर्फ एक मुलाकात पाला बदलने का कारण नहीं हो सकता. इस मीटिंग ने कयासों का बाजार गर्म कर दिया हो, लेकिन यह मुलाकात सरकारी थी. दरअसल, बिहार में नए सूचना आयुक्त की नियुक्ति होनी है और इसमें नेता विरोधी दल जाते हैं. यह मुलाकात इसी सिलसिले में हुई है. जानकारी के अनुसार, बिहार के मानवाधिकार आयोग में दो पद खाली हैं. इन दोनों पद पर चयन को लेकर बैठक में चर्चा हुई. इसके अतिरिक्त सूचना आयोग में भी दो सदस्य का चयन होना है. बैठक में सूचना आयोग के दोनों सदस्य पर फैसला हो गया है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बताया कि राज्य सरकार इसकी जानकारी देगी. उन्होंने साफ कहा था कि मुलाकात में आरक्षण के संबंध में बात हुई है. बिहार सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी है और एक याचिका राजद ने भी दायर की है. इसी को लेकर सीएम से बात हुई है.

ये भी पढ़ें- '2 बार गलती कर दी, अब कभी...', जेपी नड्डा के सामने RJD पर बरसे CM नीतीश कुमार

Trending news