कांग्रेस ने खुद ही सीएम नीतीश कुमार को विपक्षी एकता की जिम्मेदारी सौंपी थी पर अब उसी ने कर्नाटक के शपथ ग्रहण समारोह में कुछ दलों को न्यौता न देकर विपक्षी एकता पर बिजली गिराने का काम किया है.
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) भले ही विपक्षी एकता की दुहाई देते हुए राज्य दर राज्य घूम रहे हैं, लेकिन जिस कांग्रेस ने उन्हें विपक्षी एकता का भार दिया है, उसी ने विपक्षी एकता की कोशिशों पर बिजली गिरा दी है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि कांग्रेस ने कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddharamaiah Oath Ceremony) की सरकार के शपथग्रहण के लिए कई दलों को न्यौता दिया है, लेकिन आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party), भारत राष्ट्र समिति (BRS), वाईएसआर कांग्रेस (YSR Congress) और केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन (P. Vijyan) को न्यौता नहीं भेजा है. ये सभी वो दल हैं, जिनसे नीतीश कुमार विपक्षी एकता के लिए बात करने वाले थे.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भाकपा माले के कन्वेंशन के मंच से विपक्षी एकता की दुहाई दी थी और कांग्रेस के दूत सलमान खुर्शीद के माध्यम से उसके आलाकमान तक यह बात पहुंचाई थी. उस कन्वेंशन में सलमान खुर्शीद ने कहा भी था कि कांग्रेस भी विपक्षी एकता चाहती है लेकिन सवाल यह है कि सबसे पहले आई लव यू कौन बोलेगा. सबसे पहले आई लव यू बोलने के मामले का भी पटाक्षेप उस समय हो गया जब अप्रैल के मध्य में सीएम नीतीश कुमार ने दिल्ली का दौरा किया था और मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की थी. उस मुलाकात में नीतीश कुमार को विपक्षी दलों से बात करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
दिल्ली से लौटने के बाद सीएम नीतीश कुमार अब तक 7 दलों के नेताओं से बात कर चुके हैं. 26 अप्रैल को नीतीश कुमार पश्चिम बंगाल में सीएम ममता बनर्जी से मिले और उसी दिन शाम को उत्तर प्रदेश की राजधानी में सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. 5 मई को उनकी ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक से मुलाकात होनी थी, जो उस दिन नहीं हो पाई थी और वह मुलाकात 9 मई को हुई थी. 10 मई को नीतीश कुमार झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से मिले थे और 11 मई को वे महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में एनसीपी प्रमुख शरद पवार और शिवसेना उद्धव गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिलने गए थे.
कर्नाटक चुनाव परिणाम आने के बाद पटना में विपक्षी दलों की एक बड़ी बैठक की मेजबानी भी नीतीश कुमार करने वाले हैं. कर्नाटक के मुख्यमंत्री का नाम साफ होने में विलंब के कारण पटना की बड़ी बैठक में भी देरी हो रही है और अब तक उस बैठक की तैयारियों को लेकर होने वाली बैठक भी नहीं हो पाई है. अब चूंकि यह तय हो गया कि कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ही होंगे और शनिवार यानी 20 मई को उनका शपथग्रहण भी होने वाला है. उसके बाद पटना की बड़ी बैठक की तैयारी के लिए एक बैठक होगी, जिसमें विपक्षी दलों की महाबैठक की रूपरेखा तय की जाएगी.
अब नीतीश कुमार के लिए काम थोड़ा कठिन हो गया है, क्योंकि वे सभी विपक्षी दलों को पटना में आयोजित होने वाली बैठक में बुलाने वाले थे लेकिन अब चूंकि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति और केरल के सीएम पी. विजयन को न्यौता नहीं दिया है तो ये दल शायद ही विपक्षी दलों की इस बैठक को लेकर कोई दिलचस्पी दिखा पाएं. अरविंद केजरीवाल ने तो 2 दिन पहले ही संकेत दे दिया है कि वे लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ने वाले हैं. नीतीश कुमार को कांग्रेस ने विपक्षी एकता की जिम्मेदारी है और कांग्रेस ने इन दलों को न्यौता नहीं दिया है तो नीतीश कुमार के लिए बाधा दौड़ जीतने वाला चैलेंज मिल गया है. देखना है कि वे इसे कैसे मैनेज करते हैं.
अब आप जान लीजिए कि कांग्रेस ने किनको किनको न्यौता भेजा है. सबसे पहले उद्धव ठाकरे, सीताराम येचुरी और कमल हासन के अलावा फारुक अब्दुल्ला, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी, एमके स्टालिन और हेमंत सोरेन को न्यौता भेज दिया गया है. अखिलेश यादव, महबूबा मुफ्ती, डी. राजा और शरद पवार को भी शपथ ग्रहण के लिए आमंत्रण भेजा गया है.