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पटना: Bihar Politics: बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद से ही यहां का सियासी तापमान बढ़ गया है. बिहार में महागठबंधन की सरकार में भी अलग-अलग दलों के नेता इस रिपोर्ट पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल इस रिपोर्ट को पूरी तरह से राजनीतिक फायदे के लिए जारी किए जाने का दावा कर रहे हैं. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के इशारे पर तेली, तमोली, चौरसिया,दांगी सहित आधा दर्जन जातियों को अतिपिछड़ा सूची से बाहर करने की जो साजिश रची जा रही है, उसे हम सफल नहीं होने देंगे. भाजपा इसका मुंहतोड जवाब देगी.
सुशील मोदी ने कहा कि वैश्य एवं कुशवाहा समाज को बांटने और इनकी आबादी कम दिखाने की मंशा जातीय सर्वे में उजागर हो चुकी है. दूसरी तरफ राजद के एक विधान परिषद सदस्य वैश्य एवं कुशवाहा जातियों को अतिपिछड़ा सूची से बाहर कराने के लिए पदयात्रा और सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि जिन अतिपिछड़ी जातियों ने महागठबंधन को वोट नहीं दिया, उनके विरुद्ध तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. सुशील मोदी ने कहा कि मुसलमानों में मल्लिक, शेखड़ा और कुल्हिया ऊंची जातियां हैं , लेकिन अतिपिछड़ा वर्ग में शामिल कर इन्हें आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है.
वहीं सुशील मोदी ने आगे कहा कि मुसलमानों में जिन्हें शेरशाहबादी जाति का बताया गया है, वे बांग्लादेशी हैं और बांग्ला बोलते हैं. सुरजापुरी को मुस्लिम जाति दिखाया गया है, जबकि सुरजापुरी भाषा है. इन सारी विसंगतियों और त्रुटियों को दूर करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि ऊंची जातियों के मुसलमानों को अतिपिछड़ा सूची से बाहर कर अतिपिछड़ों की हकमारी बंद की जानी चाहिए.