Bihar Politics: भाकपा (माले) ने बिहार सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि विधानमंडल के मानसून सत्र के दोनों सदनों में लोकतंत्र की हत्या हुई है.
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पटना: बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र की समाप्ति के एक दिन बाद शनिवार को भाकपा (माले) ने आरोप लगाया कि विधानमंडल के मानसून सत्र में लोकतंत्र की हत्या हुई. विधान परिषद में जहां राजद एमएलसी सुनील सिंह की सदस्यता रद्द कर एक गलत परंपरा की शुरूआत की गई, वहीं विधानसभा के भीतर विपक्ष के किसी भी सवाल को सही तरीके से न तो पटल पर आने दिया गया और न ही सरकार ने उसके प्रति कोई संवेदनशीलता दिखाई.
भाकपा (माले) विधायक दल ने शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में विधनासभा अध्यक्ष पर भी मनमानी का आरोप लगाया. प्रेस वार्ता में विधायक दल के नेता महबूब आलम, उपनेता सत्यदेव राम, विधान पार्षद शशि यादव, विधायक महानंद सिंह, अजीत कुमार सिंह और शिवप्रकाश रंजन उपस्थित रहे. भाकपा माले विधायक दल ने कहा कि महागठबंधन ने सत्र के दौरान बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, राज्य में कानून व्यवस्था, पुलों के ढहने, भ्रष्टाचार सहित कई मुद्दे वाले सवालों पर संयुक्त रूप से सरकार का घेराव किया, लेकिन सरकार बिहार और बिहार की जनता के जरूरी सवालों से मुंह चुराती नजर आई. विशेष राज्य के दर्जे पर चर्चा कराने से सरकार का भाग खड़ा होना, यह दिखाता है कि भाजपा ने बिहार के साथ घोर विश्वासघात किया है और जदयू ने उसके समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है. दलितों-अति पिछिड़ों और पिछड़ों के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किए जाने के सवाल पर बिहार सरकार पूरी तरह बेनकाब हो गई.
भाकपा (माले) के विधायकों ने कहा कि सबसे दुखद यह रहा कि इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष ने वोटिंग कराने से इनकार कर दिया और सदन के अंदर विपक्ष की आवाज को दबा दी. जाति आधारित सर्वेक्षण के उपरांत राज्य के तकरीबन 95 लाख गरीब परिवारों को लघु उद्यमी योजना के तहत 2 लाख रुपये की सहायता राशि की सरकारी घोषणा की बात मुख्यमंत्री ने सदन के अंदर तो कही, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं हो रहा है. इस सवाल का जवाब भी सरकार नहीं दे सकी.
इनपुट- आईएएनएस