राजनीतिक गलियारों में ये भी चर्चा है कि राजद और जदयू में इन दिनों पट नहीं रही है, इसलिए मुख्यमंत्री अपने लोगों को एकजुट करने में जुटे हैं. चर्चा है कि नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होने की सोच रहे हैं.
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देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सबसे ज्यादा गहमागहमी बिहार में देखने को मिल रहा है. पिछले महीने पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी नेताओं का जमावड़ा लगाया था. ये बैठक विपक्ष को एकजुट करने के लिए रखी गई थी. इस, बैठक के बाद आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. तो वहीं शरद पवार की एनसीपी में दो फाड़ हो गए. इससे विपक्षी एकता की ये कवायद पूरी तरह से चकनाचूर हो गई. दूसरी ओर नीतीश कुमार को भी अपनी पार्टी के टूटने का डर सता रहा है, इसलिए वो एक-एक करके अपने विधायकों और सांसदों से मुलाकात कर रहे हैं.
राजनीतिक गलियारों में ये भी चर्चा है कि राजद और जदयू में इन दिनों पट नहीं रही है, इसलिए मुख्यमंत्री अपने लोगों को एकजुट करने में जुटे हैं. चर्चा है कि नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होने की सोच रहे हैं. अब इसी को लेकर एबीपी न्यूज-सीवोटर ने एक सर्वे किया है. सर्वे में लोगों से पूछा गया- क्या नीतीश कुमार फिर से बीजेपी के साथ हाथ मिला सकते हैं? इस सवाल का लोगों ने जो जवाब दिया, वो काफी चौंकाने वाला है.
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सीवोटर ने जब जनता से पूछा कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी से हाथ मिला सकते हैं? तो 34 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नीतीश कुमार फिर से बीजेपी के साथ जा सकते हैं. 48 प्रतिशत लोगों ने माना है कि नीतीश कुमार अब बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे. वहीं, 18 प्रतिशत लोगों ने 'पता नहीं' में जवाब दिया है. लोगों से जब पूछा गया कि क्या जेडीयू टूट जाएगी? तो 38 प्रतिशत लोगों ने इस पर सहमति वक्त की है. 51 प्रतिशत लोगों ने मांझी के दावा को नकार दिया है. वहीं, 11 प्रतिशत लोगों ने इस सवाल पर 'पता नहीं' में जवाब दिया है.
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वहीं राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, लोजपा (रामविलास) सुप्रीमो चिराग पासवान और हम संरक्षक जीतन राम मांझी लगातार जेडीयू के टूटने का दावा कर रहे हैं. बीजेपी के भी कई बड़े नेता भी यही दावा कर रहे हैं. इन नेताओं के दावों को लेकर नीतीश कुमार पहले से सतर्क हो चुके हैं और अपने विधायकों और सांसदों से मिलकर उन्हें एकजुट रखने का प्रयास कर रहे हैं.